सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता और निर्भया को न्याय दिलाने वालीं सीमा कुशवाहा कहती हैं - सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता
नई दिल्ली। भारत का कानून महिला या पुरुष में कोई अंतर नहीं करता। एक जैसे जुर्म के लिए दोनों को एक जैसी ही सजा का प्रावधान है। लेकिन कुछ मामलों में महिलाओं को लेकर कानून थोड़ा लचीला है। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि कानून ने महिलाओं को कुछ विशेष अधिकार दे रखे हैं। इन्हीं में से एक है दिन ढलने के बाद महिलाओं की गिरफ्तारी पर रोक। अापराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 46(4) 1973, महिलाओं की गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधानों को स्पष्ट करता है। इसके मुताबिक कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। विशेष परिस्थिति में महिला की गिरफ्तारी के समय किसी महिला पुलिस अधिकारी का होना जरूरी है। लोकल फर्स्ट क्लास न्यायिक मजिस्ट्रेट का लिखा हुआ वारंट भी होना जरूरी है। गौरतलब है कि 21 दिसंबर 2012 को भारती बनाम जाधव केस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस कानून का प्रयोग करते हुए सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
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इसलिए दी गई ये रियायत
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता और निर्भया को न्याय दिलाने वालीं सीमा कुशवाहा के मुताबिक बहुत से ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें महिला को गिरफ्तार करने के बाद उनके साथ यौन हिंसा और प्रताड़ना की बात सामने आई। इन्हीं सारे मामलों को देखते हुए कानून बनाया गया कि मामला चाहे जो भी हो, किसी भी महिला को शाम छह बजे के बाद और सुबह छह बजे के पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इस अवधि में पुलिस महिला को हाउस-अरेस्ट जरूर कर सकती है, लेकिन वो भी महिला पुलिस द्वारा ही।
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महिलाओं को ये अधिकार भी
- अगर किसी रिपोर्ट के सिलसिले में आपको महिला से पूछताछ करनी है और दिन ढल चुका है तो पुलिस को ही उसके घर जाना होगा।
- धारा-47 (2) के अनुसार महिला की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जा सकती है।
- अगर कोई नाबालिग बच्ची है तो उसकी जांच के दौरान उसके माता-पिता या अभिभावकों का मौजूद होना अनिवार्य है।
- नाबालिग की जांच के दौरान पुलिस ये कभी नहीं बोल सकती कि माता-पिता को कहीं और जाना होगा।
- अगर कोई महिला गिरफ्तारी के दौरान गर्भवती है, तो वह अपने साथ किसी सहयोगी की मांग कर सकती है।
- गिरफ्तारी के दौरान महिला पुलिस अधिकारी से उस धारा के बारे में पूछ सकती है जिसके तहत उसे गिरफ्तार किया जा रहा है।
- 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है। महिला को जिस थाने में रखा जाए वहां महिला पुलिस का होना अनिवार्य।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.