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लॉकडाउन : वही करें जो दिल कहे 

Published - Sun 19, Apr 2020

चारदीवारी के अंदर कैद रहना दो-चार दिन तो ठीक रहता है लेकिन जब बात महीनों की हो तो परेशान होना स्वाभाविक है। इस लॉकडाउन में अपना समय काटने के लिए जहां तक संभव हो इलेक्ट्रानिक गैजेट से दूरी बनाएं। घर के काम में हाथ बटाएं, बच्चों के साथ खेलें, अपने पसंद का काम करें।

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कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉकडाउन है। किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। चारदीवारी के अंदर कैद रहना दो-चार दिन तो ठीक रहता है लेकिन जब बात महीनों की हो तो परेशान होना स्वाभाविक है। आज की डिजिटल दुनिया में मोबाइल हम सबका साथी है। थोड़ा सा भी समय मिलता है तो सबसे पहले हाथ मोबाइल पर जाता है और दुनिया भर के एप खोलकर देख डालते हैं। लेकिन डिजिटल स्क्रीन्स आपको मानसिक रूप से ज्यादा थकाती हैं। चाहे वह मोबाइ हो लैपटॉप हो या टीवी। इस लॉकडाउन में अपना समय काटने के लिए जहां तक संभव हो इलेक्ट्रानिक गैजेट से दूरी बनाएं। घर के काम में हाथ बटाएं, बच्चों के साथ खेलें, अपने पसंद का काम करें। कहने का मतलब बस इतना है कि खुद को व्यस्त रखें और इलेक्ट्रानिक गैजेट से दूरी बनाएं। एक-आध मूवी देख सकते हैं। लेकिन पूरा-पूरा दिन स्क्रीन के सामने बैठना आपका तनाव बढ़ा सकता है। ज्यादा से ज्याद समय अपने परिवार के साथ बिताए लेकिन सामाजिक दूरी का पूरा ख्याल रखें। 

दिनचर्या का पालन करें : लॉकडाउन के समय जब आपको कहीं नहीं जाना तब भी अपनी दिनचर्या का पूरा ख्याल रखें। इससे आपके शरीर में फुर्ती बनी रहेगी और आप पूरा दिन फ्रेश महसूस करेंगे। 

व्यायाम या योग करें : व्यायाम और योग आपको हमेशा शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखने में मदद करते हैं। वैसे तो हमेशा ही व्यायाम करना चाहिए। लेकिन यदि आप रोज व्यायाम या योग नहीं करते हैं तो लॉकडाउन के दौरान जरूर करें। इससे आप पूरा दिन फ्रेश महसूस करेंगे। कोई भी साधारण योगासन या व्यायाम यूट्यूब के माध्यम से सीख सकते हैं।

अपने विचारों को लिखें : आजकल लिखने का सबसे अच्छा माध्यम है सोशल मीडिया है जो मन में आता है लिख देते हैं। लेकिन डायरी में लिखने का एक अलग अनुभव है। आपके दिमाग में कोई भी अच्छा विचार आता है तो उसे डायरी में नोट कर लें। आप लॉकडउान के दौरान पूरे दिन के अनुभव को भी डायरी में नोट कर सकते हैं। 

ज्यादा खबरें भी न देखें : कोरोना की ज्यादा खबरें भी आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकती है। इसलिए ज्यादा खबरें न देखें। बस अपना ख्याल रखें। साफ-सफाई बनाए रखें। सामाजिक दूरी का ख्याल रखें। न किसी के घर जाएं न किसी को घर बुलाएं। आप और अपका पूरा परिवार सुरक्षित रहेगा। 

अपने पसंदीदा गानें सुनें : म्यूजिक हर घड़ी हमारा साथ निभाता है। चाहे खुशी का मौका हो या निराशा महसूस हो रही हो। इसलिए अपनी पसंद के गाने सुने। जब जैसा मूड हो उसी प्रकार के गाने सुन सकते हैं। गाना सुनने के साथ-साथ डांस भी कर सकते हैं। 

ऑनलाइन करें बात : हम सभी का कोई न कोई ऐसा दोस्त होता है जिससे हम खुलकर बातें कर सकते हैं। इसलिए दोस्तों से बात अवश्य करें। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि सिर्फ फोन पर या वीडियो कॉल के माध्यम से ही बात करें। जब तक यह महामारी चल रही है मिलने की कोशिश न करें। 

अपने शौक के काम करें : हर किसी के अंदर कुछ न कुछ ऐसा टैलेंट छुपा होता है जिसे वह करना तो चाहता है लेकिन समय की कमी की वजह से नहीं कर पाता है। इसलिए अपने टैलेंट को बाहर लाने का यह मौका है। जैसे किसी को पेंटिग पसंद है तो वह पेंटिग करें। यदि आपको खाने में प्रयोग कराना पसंद तो आप नए-नए प्रकार की डिशेज तैयार कर सकते हैं। 

खाना बनाएं : हमारे देश में जब भी खाना बनाने की बात आती है तो घर में या तो महिलाएं खाना बनाती है या घर में मेड खाना बनाती है। कहने का मतलब पुरुष बहुत कम खाना बनाते हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान अपनी अपनी पत्नी, मां या बहन की खाना बनाने में मदद कर सकते हैं। यदि आपको कुछ बनाना नहीं आता तो आप बनाना सीख भी सकते हैं। 

किताबें पढ़े : किताबें हमारी सबसे अच्छी साथी होती हैं। आप जितना पढ़ेगे उतना ज्ञान मिलेगा। वैसे तो किताबे हमेशा ही पढ़नी चाहिए। लेकिन अगर आप किताबें नहीं पढ़ते हैं तो लॉकडाउन के दौरान घर में किताबें पढ़े। यदि पढ़ने में मन नहीं लगता तो कोई भी स्टोरी वाली बुक पढ़े। कॉमिक भी पढ़ सकते हैं चाहें तो बच्चों के साथ मिलकर कॉमिक बुक पढ़ें। 

कमरें को दें नया रूप : लॉकडाउन के दौरान आप अपने कमरें को नया रूप दे सकते हैं। एक ही प्रकार का कमरा देख-देख के बोरियत महसूस होने लगती है इसलिए कमरे की सफाई करके उसे नया रूप दे सकते हैं। थोड़ा सा बदलाव करने के बाद आपको उसी कमरे में नयापन महसूस होगा और आपको अच्छा लगेगा। 

बच्चों के साथ खेलें : काम करने वाले माता-पिता को बच्चों के साथ समय बिताने का बहुत कम मौका मिलता है। ऐसे में तनाव को कम करने के लिए आप भी बच्चा ही बन जाइये। बच्चों को हर काम में डांटने की बजाए उनके साथ खेले। हसीं मजाक करें। तनाव कोसो दूर रहेगा।