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अनाथ बच्चों का जीवन संवार रहीं पौलोमी फोर्ब्स की अंडर-30 सूची में शुमार

Published - Thu 04, Feb 2021

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहां हर कोई अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अपनों तक को समय नहीं दे पा रहा है। वहीं, समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो जरूरतमंदों की सेवा के लिए जी-जान से जुटे हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं लखनऊ की रहने वालीं पौलोमी पाविनी शुक्ला। वह कई सालों से अनाथ बच्चों की शिक्षा से लेकर उनके रहने, खाने तक का इंतजाम कर रही हैं। यही वजह है कि दुनिया की मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने उन्हें भारत की अंडर-30 सूची में स्थान देकर सम्मानित किया है। आइए जानते हैं पौलोमी के द्वारा अनाथ बच्चों के लिए किए जा रहे कामों के बारे में...

लखनऊ। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वालीं पौलोमी पाविनी शुक्ला पेशे से वकील हैं। वह सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं साथ ही अनाथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और उनके अधिकारों के लिए लंबे अरसे से काम कर रही हैं। पौलोमी पविनी ने अपने भाई अमंद के साथ मिलकर 'वीकेस्ट ऑन अर्थ-ऑर्फन ऑफ इंडिया’ नामक एक पुस्तक भी लिखी है। यह किताब ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित की गई थी। उन्होंने 2018 में अनाथों के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने ऐसे बच्चों के अधिकार की आवाज बुलंद की थी। पाविनी के इन प्रयासों को कई राज्यों द्वारा मान्यता दी गई है और उन्हें सराहा गया है।

फोर्ब्स हर साल जारी करती है ऐसी सूची

फोर्ब्स पत्रिका हर साल 30 साल से कम उम्र के ऐसे 30 लोगों की सूची जारी करती है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया हो। इस साल लखनऊ की पौलोमी पाविनी शुक्ला को इस सूची में जगह दी गई है। सुप्रीम कोर्ट की 28 वर्षीय वकील पौलोमी जानती हैं कि अनाथ बच्चों के लिए उचित शिक्षा प्राप्त करना एक कठिन काम है, इसलिए वह इस दिशा में काफी गंभीरता से काम रही हैं। फोर्ब्स की सूची में शामिल होने पर वह कहती हैं कि 'मैं वास्तव में फोर्ब्स द्वारा मुझे यह सम्मान देने से बहुत खुश हूं। यह मुझे इस दिशा में और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।'

अनाथ बच्चों के उत्थान के लिए बनाई है योजना

सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचानी जाने वालीं पौलोमी पाविनी शुक्ला अनाथ बच्चों के उत्थान के लिए एक अहम योजना बनाई है। इसके तहत वह आने वाले वर्षों में देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित अनाथालयों में जाकर वहां की स्थिति देखेंगी और बच्चों की शिक्षा से लेकर उनके रहने-खाने तक की व्यवस्था कैसे बेहतर हो इसके लिए उस राज्य की सरकार से बात कर मदद का अनुरोध करेंगी। सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहीं तमाम संस्थाओं को भी इस नेक काम में साथ लाने की उनकी योजना है। पौलोमी जरूरतमंद छात्रों को कोचिंग और ट्यूशन जैसी सुविधाएं दिलाने के लिए यूपी के शिक्षा विभाग के साथ मिलकर अनाथालयों में इनकी व्यवस्था करने की योजना बना रही हैं।

माता-पिता दोनों हैं आईएएस

पौलोमी वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों आराधना शुक्ला और प्रदीप शुक्ला (अब सेवानिवृत्त) की बेटी हैं। माता-पिता हमेशा बेटी के इस नेक काम में उनके साथ खड़े रहे हैं। भाई का भी सहयोग हमेशा पौलोमी को मिला है। कई कारोबारी घराने भी पौलोमी की मदद करते हैं। वे हमेशा अनाथ बच्चों के लिए स्टेशनरी, किताबें, ट्यूशन के पैसे मुहैया कराते हैं। पौलोमी फिलहाल आठ शहरों के 13 स्कूलों में अनाथालयों के साथ काम कर रही हैं। लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसलिए पौलोमी ने ऑनलाइन शिक्षा के लिए शहर के सभी अनाथालयों में स्मार्ट टीवी की व्यवस्था करने का प्रयास भी किया था।

बचपन में ही मदद करने का कर लिया था फैसला

जरूरतमंद बच्चों की मदद करने का ख्याल मन में कैसे आया ? यह पूछने पर पौलोमी बताती हैं कि, साल 2001 में जब मैं नौ साल की थी, तो मेरी मां मुझे अपने जन्मदिन पर एक अनाथालय ले गईं। वहां मैं बच्चों से मिली और उनके दर्द व पढ़ाई की इच्छा को महसूस किया। तब से मैं अनाथों के लिए कुछ करना चाहती थी, क्योंकि उनके पास उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है।