थिरकन फिटनेस डांस एकेडमी की संस्थापक निशा जैन का कहना है कि एक्सरसाइज करते हुए चेहरे पर मुस्कुराने के भाव भी लाना जरुरी है। हास्य की भंगिमाएं जब चेहरे पर लाएंगे तो ये भी योग की ही क्रियाएं हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं दिनभर घर और बाहर के काम करके बेहद थक जाती हैं और फिर रात को सोते हुए उनका शरीर बहुत दर्द होता है। दर्द से छुटकारा मिले और चेहरे पर मुस्कान आए, इसके लिए महिलाओं को हर रोज नियमित तौर पर योग करना चाहिए। मेरा तो मानना ही यही है कि मुस्कुराना भी योग ही है। यह कहना है थिरकन फिटनेस डांस एकेडमी की संस्थापक निशा जैन का।
निशा कहती हैं, दिन में कभी भी 15 मिनट का ही समय महिलाएं अपने लिए निकाल लें और योग के आसन करें तो उन्हें तनाव से, दर्द से मुक्ति मिलेगी और उनका चेहरा उन्हें ताजगी महसूस कराएगा। निशा का कहना है कि एक्सरसाइज करते हुए चेहरे पर मुस्कुराने के भाव भी लाना जरुरी है। हास्य की भंगिमाएं जब चेहरे पर लाएंगे तो ये भी योग की ही क्रियाएं हैं। वैसे सुबह उठने के बाद योग करना सबसे श्रेयस्कर होता है, इससे महिलाएं दिनभर ऊर्जा से भरी रहेंगी और फिर घर और बाहर के काम में उन्हें ज्यादा थकावट महसूस नहीं होगी। अमर उजाला के अपराजिता :100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत नोएडा में सेक्टर 77 के केपटाउन सोसायटी में आयोजित एक कार्यशाला में निशा जैन ने कहा कि पहले हम महिलाएं योग को लेकर इतनी सक्रिय नहीं थीं, लेकिन अब योग का ट्रेंड चल पड़ा है और यह हम महिलाओं के लिए बहुत अच्छा साबित हो रहा है। हमारे भीतर लगातार होने वाली सभी तरह की शारीरिक, मानसिक, हॉर्मोनल और मूड बदलाव में यह योग सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनकर सामने आया है। कार्यशाला में महिलाओं ने खुद को कैसे फिट रखती हैं, इस विषय पर भी अपने विचार साझा किए।
59 साल की श्रीमति कांता जैन ने कहा कि महिलाएं अक्सर अपनी परेशानियां और बीमारियां छुपाती हैं। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि बढ़ती उम्र में यही परेशानियां और बीमारियां हमें अंधेरे में ढकेल देती हैं। कांता जैन ने कहा कि मेरी जैसे जैसे उम्र बढ़ रही है बल्कि मैं तो खुद को और जवान एवं फिट महसूस करती हूं। लिफ्ट का इस्तेमाल जरुरत पड़ने पर ही करती हूं। सीढ़ियों से चढ़ने-उतरने से टांगों की एक्सरसाइज हो जाती है। कांता जैन का कहना है कि, मैं सभी उम्र की महिलाओं को यही संदेश देना चाहती हूं कि हर रोज सुबह बस 15 मिनट का समय निकालें और उसमें मार्निंग वॉक करने के साथ-साथ व्यायाम जरूर करें। इससे सुबह से लेकर रात तक वे खुद को तरोताजा और बेहद ऊर्जावान महसूस करेंगी। निशा जैन ने भी कहा कि योग न सिर्फ किशोरावस्था में बल्कि उम्र के हर पड़ाव में मददगार साबित हो रहा है। महिलाओं का खास तौर से अपनी नियमित दिनचर्या में योग को शामिल करना चाहिए, क्योंकि नियमित योगाभ्यास ही शरीर को मजबूत और मांसपेशियों को सशक्त बनाता हैं। निशा ने कहा कि आज महिलाएं घर ही नहीं बल्कि ऑफिस और कारखानों में भी काम करने जाती हैं। कुर्सी पर लगातार बैठे रहने से या काम के दौरान लगातार खड़े रहने से शरीर की संरचना बिगड़ जाती है और जब हम आराम की स्थिति में आते हैं या रात को सोते हुए शरीर खूब दर्द करता है। अतः योगासनों से ही हम अपने शरीर के गलत तरीके से उठने-बैठने, खड़े होने आदि की स्थिति में सुधार ला सकते हैं। योग के विभिन्न आसन हमें शारीरिक दर्द में आराम देते हैं।
इस योग कार्यशाला में सोनिया, मिली, गरिमा, पल्लवी और अंशु ने भी कहा कि वे नियमित रूप से प्राणायाम करती हैं, इससे खास लाभ होता है। इसमें हमारा फोकस स्लो डीप ब्रीदिंग पर होता है, इससे हमारा तन-मन स्वस्थ होता है। निशा और कांता के अनुसार प्राणायाम न सिर्फ श्वास और जीवन के स्तर को बढ़ाता है, बल्कि तुरंत बिगड़े मूड को बेहतर करने में कारगर होता है। तनाव और डिप्रशन भी दूर करता है।
पेट घटता है योग करने से
महिलाएं अपनी फिगर को लेकर बहुत फिक्रमंद रहती हैं। पेट की चर्बी घटाने के लिए वे क्या करें। इस प्रश्न पर निशा जैन कहती हैं योग के ऐसे कई आसन हैं कि उन्हें महिलाएं करें तो वे अपने बड़े हुए पेट को घटा सकती हैं।
ऊर्जा और ताजगी के लिए योग
योग के वो आसन जिनको करने से महिलाएं दिनभर ऊर्जा से भरी रहती हैं और हर कदम पर ताजगी महसूस करती हैं, निशा सिंह कहती हैं, सूर्य नमस्कार एक ऐसा योग आसन है, जिससे हमें ऊर्जा और ताजगी का दिनभर अहसास होता रहता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.