विशेषज्ञों ने दूर कीं छात्राओं की भ्रांतियां, बोले - खून की कमी से करता है मिट्टी खाने का मन
कांगड़ा। शरण कॉलेज ऑफ एजूकेशन घुरकड़ी में अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम में छात्राओं की स्वास्थ्य से जुड़ीं कई भ्रांतियां दूर की गईं। फोर्टिस अस्पताल की डॉ. निशा मुंजाल ने कहा कि पीरियड के दौरान लड़कियों को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। इस दौरान लड़कियों को संतुलित आहार खाने के साथ हाईजीन विधि अपनानी चाहिए। विटामिन की कमी और पानी कम पीने से कई बार हाथ पांव सुन्न हो जाते हैं। लड़कियों को इस दौरान आयरन और प्रोटीन से भरपूर भोजन लेना चाहिए।
पीरियड के दौरान पीठ में थोड़ा बहुत दर्द होना सामान्य है, इससे घबराना नहीं चाहिए। इस वक्त उल्टी का मन होना और चिड़चिड़ापन आना हारमोनल चेंज की वजह से होता है। लड़कियों को जंक फूड से बचना चाहिए। पीरियड्स के दौरान घर में आराम करने के बजाय खेलकूद और काम करना चाहिए। इस दौरान एक्टिव रहना जरूरी होता है। डॉ. निशा ने कहा कि खून की कमी या पेट में कीड़े होने की वजह से कई बार मिट्टी खाने का मन करता है। कई महिलाओं में भ्रांति रहती है कि डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन की वजह से आगे भी पीठ में दर्द रहता है, यह गलत है। डिलीवरी के बाद अधिकतर समय झुक कर बैठने और अच्छी डाइट न लेने से पीठ में दर्द होता है। डिलीवरी के बाद महिलाओं को रोज एक लीटर दूध पीना चाहिए। शरण कॉलेज आफ एजूकेशन के बीएड, डीएलएड विंग की प्रिंसिपल डॉ. सुमन शर्मा ने अमर उजाला के अपराजिता अभियान की सराहना की। इस दौरान छात्राओं ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर लघु नाटिका भी पेश की।
छात्रा पल्लवी ने बताया कि अमर उजाला का अपराजिता अभियान बहुत अच्छी पहल है है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य को लेकर हमारी कई भ्रांतियां दूर हुईं। छात्रा रिंपल ने बताया कि अपराजिता कार्यक्रम में स्वास्थ्य को लेकर बहुमूल्य जानकारियां दी गईं।
छात्रा श्रुतिका ने कहा कि अपराजिता कार्यक्रम अमर उजाला की बेहतरीन पहल है। इस पहल से महिलाओं का सशक्ती करण होगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.