'योग और महिलाओं की जिंदगी' को लेकर डॉ. पंकज कौशिक ने योग गुरु बाबा रामदेव से बातचीत की है। उस बातचीत के कुछ अंश-
योग शिक्षा को स्कूली शिक्षा के रूप में अब बढ़ावा मिलने लगा है, जिसमें महिलाओं ने भी अपनी हिस्सेदारी लेना शुरू कर दी है। इसका क्या लाभ होगा?
योग शिक्षा प्राचीन काल से ही शिक्षा प्रणाली का अंग मानी गई है। पहले स्कूल में शारीरिक शिक्षा का अध्यापक ही योग शिक्षा की परंपरा का निर्वाह करता था। अब योग शिक्षा ने शिक्षा और समाज में अपनी अलग जगह स्थापित कर ली है। अब प्रत्येक स्कूल में योग अध्यापक बच्चों को शिक्षा देते हुए मिल जाएगा। इस तरह से योग ने देश और दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष उन्नति की है।
योग शिक्षा को विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा में तब्दील कर दिया गया है। इसको लेकर आपका क्या कहना है?
योग शिक्षा के क्षेत्र में देश और दुनिया में बहुत बड़ा बाजार खड़ा हो गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि लोगों ने योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। विदेशों से लोग योग शिक्षा को ग्रहण करने के लिए भारत आ रहे हैं। जब से मोदी जी ने योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संदेश जारी किया है, उस समय से योग के क्षेत्र में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है। विश्वविद्यालय, कॉलेज और विद्यालयों में योग शिक्षा में सीटें कम पड़ना शुरू हो गई है। इस तरह से योग शिक्षा में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी है। कुछ ही दिनों में यह देखने को मिला है कि चिकित्सालय और पर्यटन केंद्रों पर योग प्रशिक्षक के रूप में महिलाएं अपना दखल दे रही हैं।
योग शिक्षा की महिलाओं के जीवन में क्या सहभागिता है?
यदि किसी परिवार की महिला शिक्षित होती है तो आने वाली 10 पीढ़ियां शिक्षित होती हैं। उसी प्रकार से जब एक महिला परिवार में योग की शिक्षा लेती है, तो उस परिवार में योग का प्रचार-प्रसार स्वयं ही हो जाता है। इसलिए भारत के कई राज्यों में महिलाओं के लिए योग शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें महिलाओं को ही योग की शिक्षा दी गई थी। ग्रहणी जब योग सीख जाती है, तो वह घर और आस-पड़ोस के लोगों को भी योग सिखा सकती है और उसे अपने एवं उनके जीवन का हिस्सा बना देती है। आज बड़े शहरों में अलग-अलग सामुदायिक केंद्रों में योगाभ्यास करती हुईं महिलाएं दिखाई पड़ेंगी।
योग के क्षेत्र में महिलाएं अपना करियर किस तरह से स्थापित कर सकती हैं?
सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि योग प्रशिक्षक को भाषा पर अपना अधिकार होना चाहिए। भारत में योग सिखाना है तो हिंदी और विदेशों में योग प्रशिक्षक बनना है, तो अंग्रेजी भाषा पर एकाधिकार होना चाहिए। इस तरह से योग की क्रियाओं पर योग प्रशिक्षक को अपना पूरा अध्ययन और योगाभ्यास में निपुण होना बहुत जरूरी है। योग एक साधना है, इस साधना में योग प्रशिक्षक को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। योग प्रशिक्षक वही अच्छा माना जाता है, जो योग की साधना को अपने जीवन में सही रूप में उतारता है। अच्छे आसन करने के लिए शरीर में लचीलापन होना बहुत आवश्यक है।
आपने पूरी दुनिया को एक गुरुमंत्र दिया है कि प्रत्येक व्यक्ति को कपालभाति और अलोम-विलोम अवश्य करना चाहिए।
जब व्यक्ति अपने अंदर योग शिक्षा को पल्लवित करता है, तो उसको सही तरह से सांसों को लेना और छोड़ना आना चाहिए। यह क्रिया वही कर सकता है, जिसने योग प्रशिक्षक के निर्देशन में योग का प्रशिक्षण लिया हो। अब बात आती है जीवन को स्वस्थ रखने की, तो इसके लिए कपालभाति और अलोम-विलोम अवश्य करना चाहिए। यह क्रियाएं शरीर को स्वस्थ रखती हैं और कई तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलाती हैं। वैसे योग अभ्यास की वह क्रिया है, जो व्यक्ति/महिला जितना योगाभ्यास करेंगे, उन्हें उतना ही जीवन में स्वस्थता का अनुभव होगा। आज लोगों को देखकर यह खुशी होती है, गांवों का किसान और शहर का डॉक्टर कपालभाति और अलोम-विलोम भी करता है। उसी प्रकार से बैंक का अधिकारी भी स्वस्थ रहने के लिए इन क्रियाओं को भोर की बेला में करता मिलेगा।
महिलाओं के लिए योग कितना लाभकारी है?
महिलाओं को अपने जीवनशैली को बदलना है, तो योग करना चाहिए। स्त्री हो या पुरुष योग करने के फायदे बहुत अधिक हैं। महिलाओं को कई प्रकार की बीमारियों से बचना है, तो योगाभ्यास सुबह और शाम नियमित करना चाहिए। महिलाएं अकसर सिर दर्द, कमर दर्द, बुखार, यौन संक्रमण तथा तनाव जैसी समस्याओं से घिरी रहती है। इन समस्याओं से निजात पाना है, तो योग प्रशिक्षक के निर्देशन में योगाभ्यास इनकी बीमारियों का सही रूप में समाधान कर सकता है। महिलाओं को नित्य सूर्य नमस्कार, मार्जारी आसन, व्यघ्रासन, शशांकासन, ग्रीवासन, सर्वांगासन, धनुरासन तथा सुप्त ब्रजासन विशेष रूप से महिलाओं को निरोगी रखने में लाभकारी सिद्ध होंगे। देश और दुनिया में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं स्वस्थ रहने के लिए योगाभ्यास करती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अपने को स्वस्थ रखने के लिए योगाभ्यास करती हैं। चाहे वह पारंपरिक भारतीय योग कक्षा हो या अमेरिका में मौजूद शानदार मॉर्डन योग स्टूडियो, या चीन के योगा सेंटर हों या न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के योग सेंटर में महिलाओं की संख्या अधिक देखने को मिलेगी। इन सेंटरों पर महिला योग प्रशिक्षक ही अपना दबदबा बनाए हुए हैं। विशेष बात यह है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं योगाभ्यास में अपना विशेष दिल और दिमाग लगाती हैं। योग ने महिलाओं की दुनिया को बदल दिया है इसलिए नहीं कि योग का ट्रैंड चल पड़ा है। बल्कि महिलाओं के अंदर हो रही सभी तरह की शारीरिक, मानसिक, हार्मोनल और मूड में आने वाले बदलाव से योग सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनकर सामने आया है। इस काम में योग को देश और दुनिया में नया आयाम मिला है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.