सेहत के लिए जरूरी हैं ये टिप्स
घर और ऑफिस की दोहरी जिम्मेदारी। कुछ दिन का काम हो तो कोई बात नहीं, लेकिन यह रोजाना होना है। ऐसे में कई महिलाएं अपना रूटीन बिगाड़ लेती हैं और कई तरह की बीमारियों से घिर जाती हैं। सेहत पर बुरा असर पड़ता है और कई बार गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आ जाती हैं। इसलिए कामकाजी महिलाएं अपने स्वास्थ्य को भी गंभीरता से लें और सही खान-पान और सही दिनचर्या अपनाकर खुद को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखें।
स्वस्थ महिला के लिए प्रतिदिन 1500 कैलोरी की आवश्यकता होती है।
सुबह की शुरुआत गर्म पानी से कीजिए, या फिर गुनगुने पानी में नींबू या फिर शहद लें। महिलाओं को दिन की शुरुआत दो गिलास गुनगुने पानी के साथ करनी चाहिए।
सुबह का नाश्ता हो सके तो थोड़ा हैवी लें। इससे आपको उस दौरान मदद मिलेगी, जब आप लंच टाइम में भी ऑफिस के किसी काम में उलझीं हों। उस दौरान आपको भूख नहीं लगेगी।
हर तीन घंटे में कुछ न कुछ खाती रहें। इससे आपको अचानक भूख महसूस नहीं होगी और आप जरूरत से ज्यादा भी नहीं खा पाएंगी। आप इस बात की परवाह नहीं करें कि लोग क्या कहेंगे।
लंच में दही, सीजनल और हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें।
काम के बीच पानी पीना नहीं भूलें। कोशिश करें कि दिन में कम से कम 10 गिलास पानी जरूर पीएं।
रात में हल्का भोजन करें, सोने से दो से तीन घंटा पहले खा लें।
सुबह और रात में कम से कम एक गिलास दूध जरूरी पीएं। यह आपके शरीर में कैल्शियम और आयरन की मात्रा को संतुलित रखेगा। दूध शरीर में प्रोटीन की भी पूर्ति करता है।
अपनी डाईट में फल भी जरूर रखें। दोपहर के भोजन के कुछ देर बाद एक फल जरूर खाना चाहिए। कोशिश करें कि सुबह के नाश्ते में ताजे फल खाएं या जूस पीएं।
व्यायाम भी जरूर करें। सुबह योगा और 10 से 15 मिनट ध्यान जरूर करें। ध्यान से आप जीवन के भारी उतार चढ़ाव के बीच बेहद खूबसूरती के साथ तालमेल बना सकती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.