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हीमोफीलिया : बिना डॉक्टरी सलाह एस्‍परिन या नॉन स्‍टेरॉयड दवा नहीं लें

Published - Fri 03, May 2019

मरीजों में खून का थक्का न जमने से बढ़ती है जान को जोखिम

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हीमोफीलिया, एक ऐसा रोग जिसका पूर्णरूप से इलाज संभव नहीं है, लेकिन कुछ सावधानी रखकर जान के जोखिम को कम किया जा सकता है। अक्सर देखा जाता है कि चोट लगने पर खून बहता है और थोड़े समय बाद थक्का बनकर जम जाता है और खून निकालना बंद हो जाता है, लेकिन ​हीमोफीलिया के मरीजों के ऐसा नहीं होता। आइए जानते हैं क्या है इस रोग के कारण और किस तरह इस पर काबू पाया जा सकता है।
 

इस वजह से होता है हीमोफीलिया
डॉक्टरों
के अनुसार हीमोफीलिया का कारण खून में एक प्रोटीन की कमी का होना है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहते हैं। क्लॉटिंग फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए खून के थक्के जमाकर उसे बहने से रोकता है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन नाम पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिन में खून को जल्द ही थक्के में बदल देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है। महिलाओं के इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा बहुत कम होता है। वे ज्यादातर इस बीमारी के लिए वाहक की भूमिका निभाती हैं। 

इन बातों का रखें ध्यान
हीमोफीलिया के मरीज किसी तरह का इलाज लेते वक्त डॉक्टर को रोग की जानकारी जरूर दें। एस्‍परिन या नॉन स्‍टेरॉयड दवा लेने से जहां तक संभव हो बचें। हेपेटाइटिस-बी का वैक्‍सिनेशन जरूर करवाएं। कहीं भी जाते समय ब्‍लीडिंग होने या ज्‍वाइंट डैमेज पर होने वाले नुकसानों से बचने के उपायों का इंतजाम करें। डॉक्‍टर का नंबर हमेशा साथ रखें। हीमोफीलिया से पीड़ित महिला का बेटा होने पर अगर ये साबित हो गया है कि वह भी हीमोफीलिया से पीड़ित है तो उसे बहुत देखभाल की जरूरत होगी। हीमोफीलिया से पीड़ित इससे जुड़ी जानकारी को हमेशा साथ लेकर चलें और समय-समय पर अपडेट होते रहें।

हीमोफीलिया दो तरह का होता है, ए और बी। हीमोफीलिया-ए और बी वाले लोगों में अक्सर, अन्य लोगों की तुलना में लंबे समय तक खून बहता रहता है।