जोड़ों में दर्द बन सकता है गंभीर रोग
शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द, अकड़न और सूजन को अनदेखा न करें। यह आर्थराइटिस यानी गठिया रोग हो सकता है। यह चिकनगुनिया के दर्द की तरह है, जिसमें शरीर के सभी जोड़ों में दर्द होता है। लेकिन दोनों में समानता नहीं हैं। चिकनगुनिया एक वायरस के चलते शरीर को प्रभावित करता है, वहीं आर्थराइटिस ऑटोइम्यून बीमारी है। इसका मतलब यह है कि किसी वायरस के चलते आर्थराइटिस नहीं होता, बल्कि इसमें शरीर के व्हाइट ब्लड सेल्स (श्वेत रक्त कणिकाएं) ही अपने शरीर को निशाना बनाने लगते हैं।
क्यों होती है यह बीमारी?
असंयमित जीवनशैली, न्यूट्रीशन की कमी और प्रदूषण के कारण यह बीमारी हो सकती है। आर्थराइटिस की एक वजह तो जेनेटिक भी होती है। यही वजह है कि पहले 40-45 की उम्र के बाद के लोगों में ही आर्थराइटिस की शिकायत होती थी, लेकिन इन दिनों अब यह कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अगर इस बीमारी का समय पर और जल्दी उपचार नहीं करवाया जाए तो, यह स्थाई अपंगता का कारण भी बन सकती है।
इस तरह पहचानें बीमारी के लक्षण
आर्थराइटिस में शरीर के जोड़ों में दर्द और सूजन महसूस होती है। कई बार जोड़ों में पानी भर जाता है। एक जगह बैठे रहने पर अकड़न होती है। जल्दी थकान महसूस होती है। भूख भी कम लगती है और धीरे-धीरे वजन भी कम होने लगता है। कई बार बुखार भी आता है। कई मामलों में ये लक्षण कुछ दिनों बाद ही दिखने लगते हैं, तो कुछ में कई महीनों या सालों बाद ये लक्षण सामने आते हैं। कई लोगों में ये लक्षण उभरकर ठीक भी हो जाते हैं और दोबारा कुछ साल बार फिर वापस आ सकते हैं। आर्थराइटिस में जब रोग अपने चरम पर होता है, तो सुबह उठने के साथ ही जोड़ों, हडि्डयों में दर्द के साथ अकड़न भी होती है और यह अकड़न लगभग एक से पांच घंटे तक बनी रहती है।
कितनी तरह का होता है आर्थराइटिस
आर्थराइटिस मुख्य रूप से दो तरह का होता है- रूमेटॉयड और स्पॉन्डिलोआर्थोपेथी। रूमेटॉयड में हडि्डयों के जोड़ों खासतौर पर दोनों हाथ, कलाइयां, घुटने, कोहनी, कंधे, पैर के पंजे और एड़ियों में एक जैसा दर्द होता है। वहीं स्पॉन्डिलोआर्थोपेथी में कूल्हे, कंधे और रीढ़ की हड्डी में दर्द रहता है। महिलाओं में रूमेटॉयड की शिकायत ज्यादा होती है, वहीं पुरुषों में स्पॉन्डिलोआर्थोपेथी ज्यादा होता है। कई बार अधिक उम्र की महिलाओं में अचानक किसी एक जोड़ में, अक्सर पैर के पंजे या उंगली में गंभीर दर्द और सूजन हो सकती है। यह खून में बढ़े हुए यूरिक एसिड के कारण भी हो सकता है। इसे गाउट कहते हैं, जो आर्थराइटिस का ही एक प्रकार है।
कैसे जानें इस बीमारी के बारे में?
बीमारी जब शुरुआती अवस्था में होती है, तो इसका पता किसी विशेष टेस्ट आदि से नहीं लगाया जा सकता। डॉक्टर जोड़ों में दर्द के प्रकार, दर्द-सूजन आदि से आए लक्षणों के आधार पर ही बीमारी का पता लगाते हैं। हालांकि डॉक्टर कई बार सी-रिएक्टिव प्रोटीन, कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी), ईएसआर आदि टेस्ट भी करवाते हैं। कुछ आर्थराइटिस में विशेष टेस्ट करवाए जाते हैं, लेकिन यह बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है। इसके अलावा एक्सर-रे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई भी करवानी पड़ सकती है। बीमारी की शुरुआत में दर्द से निजात के लिए डॉक्टर कार्टिसोन टेबलेट या इंजेक्शन देते हैं। हालांकि कई बार यह दर्द तो ठीक कर देते हैं, लेकिन इसके चलते क्लिनिकली रोग का पता लगाने में दिक्कत होती है और बीमारी होने के बावजूद उसके लक्षण दब जाते हैं।
इस तरह होता है उपचार
अगर आर्थराइटिस के लक्षण दिख रहे हैं, तो रूमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर के पास जाएं। इलाज जितना जल्दी शुरू होगा, उतना ही जोड़ों को कम नुकसान पहुंचेगा और भविष्य में जोड़ों के विकार के आसार कम होंगे। आर्थराइटिस में होने वाले दर्द, सूजन और अन्य परेशानियों को कम करने के लिए डॉक्टर्स दवाइयां देते हैं, लेकिन अच्छा जीवन जीने के लिए मरीज को दवाइयों के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी करना चाहिए।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.