एसबीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल व डिग्री कॉलेज में छात्राओं को दिए सुरक्षा के टिप्स
गाजियाबाद। एसबीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल और एसबीएन गर्ल्स डिग्री कॉलेज में अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स कार्यक्रम के तहत 300 से अधिक छात्राओं को आत्म सुरक्षा के टिप्स दिए गए। छात्राओं को बताया कि वह हौसला रखें और सामने वाले को उसी के अंदाज में जवाब दें। यदि आप सामने वाले से पहले ही दहशत में आ जाओगे तो वह आप पर हावी हो जाएगा। असामाजिक तत्वों पर विशेष नजर रखनी होगी। ट्रेनर ने विभिन्न तरीके के छात्राओं को टिप्स दिए।
छात्राओं को कराटे एसोसिएशन ऑफ गाजियाबाद के अध्यक्ष संतोष कुमार ने 300 से अधिक छात्राओं को आत्म सुरक्षा के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि अब छात्राओं को डरने की आवश्यकता नहीं है। वह अकेले भी आ जा सकती हैं। कोई भी व्यक्ति रास्ते में चलने के दौरान आपसे छेड़छाड़ करता है तो ऐसी स्थिति में अलर्ट रहने की आवश्यकता है। जब तक आप अलर्ट नहीं रहोगे सामने वाला आप पर हमेशा हावी रहेगा। उन्होंने अभ्यास करके आत्म सुरक्षा के बारे में बताया। कहा कि रास्ते में आपके साथ चेन स्नेचिंग और मोबाइल लूटने जैसी घटनाएं भी हो सकती हैं। छात्राओं ने सवाल किया कि कोई नशीला पदार्थ सुंघाकर या पिलाकर कुछ भी कर सकता है? छात्रा के सवाल पर उन्होंने कहा कि आप रास्ते में जाने के दौरान किसी भी रिश्तेदार या अजनबी व्यक्ति से घुले-मिला नहीं। जो भी बात करनी है घर आकर करें। कई बार जानकार लोग ही हादसे करा देते हैं। उनसे सावधान रहें। स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ. पुष्पा रावत ने कहा कि कहीं भी पार्टी में जाते हैं तो परिवार के लोगों को सही जानकारी दें। उन्हें जिन लोगों के साथ या पास जा रहे हैं, उनका नंबर देकर जाएं। छात्राओं को रास्ते में चलने के दौराल अलर्ट रहना चाहिए। इस दौरान डिग्री कॉलेज की प्राचार्य रितिका चौहान, दिव्या पाठक, मोनिका चौधरी, रितू शर्मा, शैंकी, नीरज, चंपा आदि मौजूद रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.