अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत अपनी सुरक्षा अपने हाथ कार्यक्रम में छात्राओं ने सीखे आत्मरक्षा के गुर
खुर्जा। गलत को किसी भी हाल में न सहें और मुसीबत के समय बिना डरे उसका मुकाबला करें। शनिवार को नगर स्थित आदर्श शिशु मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत अपनी सुरक्षा अपने हाथ कार्यक्रम में छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य राजकुमार वर्मा ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कठिन हालात में घबड़ाएं नहीं। धैर्य से काम लें।
नगर स्थित आदर्श शिशु मंदिर इंटर कॉलेज में अमर उजाला के अपराजिता-100 मिलियन स्माइल्स के तहत आयोजित सेल्फ डिफेंस कार्यशाला का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए स्कूल के प्रधानाचार्य राजकुमार वर्मा ने कहा कि किसी भी मुसीबत से निपटने के लिए सबसे पहले अंदर साहस जरूरी है। स्कूल से घर जाते हुए रास्ते में अगर कोई गलत हरकत करता है तो उससे बचने के लिए कई तरीके हैं। अगर सेल्फ डिफेंस के तौर पर छात्राएं अपने कलम, बालों में लगाने वाले क्लिफ आदि का भी इस्तेमाल कर सामने वाले को सबक सिखा सकती हैं। इसके अलावा पुलिस हेल्पलाइन नंबर पर सूचित कर सकती हैं। स्कूल के टीचर अथवा उन्हें बता सकती हैं। ताकि समय पर पहुंचकर सहायता की जा सके। कार्यक्रम के दौरान बुलंदशहर जिला वुशु ऐसोसिएशन के महासचिव और उत्तर प्रदेश कराटे चीफ कोच अमित शर्मा और नेशनल खिलाड़ी दानवीर चौधरी और सौरभ चौधरी ने छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के लिए कई टिप्स दिए। उन्होंने छात्राओं को बताया कि कई बार राह चलते मनचले परेशान करते हैं। ऐसे में डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि खुद की सुरक्षा के तौर पर कई ऐसे तरीके हैं जिनका प्रयोग कर वह सामने वाले को सबक सिखा सकतीं हैं। उन्होंने इसके लिए प्रशिक्षण देते हुए कुछ छात्राओं को बुलाकर उनसे भी मार्शल आर्ट करवाया। इस दौरान स्कूल के स्टाफ के लोग मौजूद रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.