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दुष्कर्मियों-हत्यारों को मिले मृत्युदंड की सजा

Published - Fri 06, Dec 2019

आदर्श जीजीआईसी मूनाकोट में सिखाए आत्मरक्षा के गुर, तेलंगाना मामले पर हुई चर्चा परिचर्चा

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पिथौरागढ़। अमर उजाला ने अपराजिता 100-मिलियन स्माइल्स के बैनर तले (आखिर कब तक निर्भया ) पर आदर्श जीजीआईसी मूनाकोट में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए और तेलंगाना की घटना को लेकर परिचर्चा भी की गई। इस अवसर पर बालिकाओं ने दुष्कर्म और हत्या जैसी जघन्य अपराध पर दोषियों को जल्द से जल्द मृत्युदंड की सजा देने की मांग उठाई।
बुधवार को जीजीआईसी मूनाकोट में आयोजित कार्यक्रम में ताइक्वांडो प्रशिक्षक आइशा विश्वकर्मा ने पहले छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि ताइक्वांडो बालिकाओं में आत्मविश्वास पैदा करेगा और बालिकाएं किसी भी मुश्किल में स्वयं को असहाय समझने के बजाय खुलकर मुकाबला कर सकेंगी।
प्रभारी प्रधानाचार्य कनक गैड़ा की अध्यक्षता में आयोजित परिचर्चा में छात्राओं और शिक्षिकाओं ने तेलंगाना की घटना पर अपने विचार रखे। शिक्षिका मंजुला पांडेय ने कहा कि बालिकाओं और महिलाओं के साथ जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं वह विकृत मानसिकता की सोच है। पुरुष वर्ग को इस सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने नैतिक और चारित्रिक विकास पर जोर दिया। अक्षय भारती स्कूल के निदेशक केसी चंद राजन ने कहा कि वर्तमान समाज में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं वह मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। उन्होंने बालिकाओं से जागरूक बनने और अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करने को कहा।
कार्यक्रम में मौजूद सभी बालिकाओं ने महिलाओं पर हो रही हिंसा पर नाराजगी जताते हुए अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग उठाई। छात्राओं ने यह भी कहा कि जघन्य अपराधों में नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजने के बजाय सख्त सजा का प्रावधान बनाने की पैरवी की। कार्यक्रम के अंत में प्रभारी प्रधानाचार्य ने नारी गरिमा को अक्षुण्ण रखने और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की शपथ दिलाई।

  • महिलाओं को हिंसा का शिकार बनाने वाले अपराधियों के लिए कड़ा कानून बने और इसको लागू किया जाय। अपराधियों को समय पर कड़ी सजा देकर ही अपराध कम होंगे। -विनीता सौन।
  • दुष्कर्म और हत्या जैसे मामलों के दोषियों को जनता के हवाले किया जाना चाहिए। दोष सिद्ध होने पर तत्काल सजा का प्रावधान हो तभी अपराधी भयभीत होंगे। - सोनल मेहता।
  • अक्सर देखा गया है कि दुष्कर्म और हत्या जैसे मामलों में नाबालिग भी शामिल होते हैं। 15 से 17 साल के नाबालिगों को सुधारगृह के बजाय कड़ी सजा मिलनी चाहिए। - रिया चंद।
  • समाज में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं उससे पूरे महिला समाज को भय लगता है। कड़ा कानून बने और यदि दोषी नाबालिग है तो उसे भी बालिगों के समान सजा दी जानी चाहिए। - कनकलता।
  • लड़कियों के साथ आए दिन छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं। अधिकतर मामलों में लड़कियों पर ही दोष मढ़ दिया जाता है। माता-पिता का दायित्व है कि लड़कों को भी नैतिकता बताई जाए। - रिया कुमारी।
  • आज बालिकाओं के लिए सेल्फ डिफेंस जरूरी है। मार्शल आर्ट की विधा आनी चाहिए। खुद सीखें और दूसरों को भी सिखाएं। यह बालिकाओं में आत्मविश्वास पैदा करेगा। - आइशा विश्वकर्मा।


इन्होंने लिया संकल्प
मंजुला पांडेय, जयश्री पाटनी, आइशा विश्वकर्मा, किशन चंद राजन, विनीता सौन, सोनल मेहता, मुस्कान बोहरा, रश्मि राय, अर्चना, चंद्रकला, सुविधा, गीता इगराल, निशा, मीना, नेहा, प्रियंका चंद, कनकलता, प्रिया, मानसी, अनिशा, अंजली, अर्चना, प्रियंका सौन, नीतू, ,पूर्णिमा इगराल, संतोषी, निकिता आर्या, निशा, सिमरन, प्रियंका बोहरा, आंचल चंद, लक्ष्मी, दीक्षा चंद, आकांक्षा, नेहा कुमा,री, शिवांगी कोहली, प्रिया, रिया चंद, नम्रता चंद, रेनू जोशी।