अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत अपनी सुरक्षा अपने हाथ कार्यक्रम में छात्राओं ने सीखे आत्मरक्षा के गुर
पहासू। किसी से डरें नहीं, साहस का परिचय दें बेटियां। किसी भी परिस्थिति में उसका डटकर मुकाबला करें। यह बातें शुक्रवार को कस्बा स्थित उर्मिला राघव कन्या इंटर कॉलेज में आयोजित अमर उजाला अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत अपनी सुरक्षा अपने हाथ में कार्यक्रम में स्कूल की प्रवक्ता विजय लता रघुवंशी ने कहीं। इस दौरान छात्राओं ने आत्मरक्षा के गुर सीखें। उन्होंने कहा कि जब तक छात्राएं अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं होंगी तब तक मनचले, बदमाशों और अराजकतत्वों का हौसला बढ़ता रहेगा। इस दौरान छात्राओं को आत्म रक्षा के लिए कराटे और अन्य कौशल का प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रवक्ता विजय लता रघुवंशी ने कहा कि घर से बाहर निकलने पर महिलाओं के सामने कभी कभी ऐसी मुसीबत आती हैं जिसका सामना करने से वह डर जाती हैं। ऐसे मौके पर उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि समय और परिस्थितियों के अनुसार उसका डटकर सामना करना चाहिए। अगर कोई मनचला उन्हें परेशान करने की कोशिश करता है तो इसके लिए वह साहस दिखाते हुए पूर जोर तरीके से विरोध करें। अगर कोई हथियार काम न आए तो जोर जोर से चिल्लाएं। ताकि आसपास के लोग सुनकर सहायता के लिए आ सकें। पुलिस को सूचित कर सकती हैं। हेल्पलाइन नंबर 100, 1090 पर भी बता सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान बुलंदशहर जिला वुशु ऐसोसिएशन के महासचिव और उत्तर प्रदेश कराटे चीफ कोच अमित शर्मा और नेशनल खिलाड़ी रिंकी मुसीबत के समय बचने का तरीका बताया। उन्होंने छात्राओं को प्रशिक्षण देते हुए बताया कि अगर कोई भी उनके साथ गलत हरकत करने की कोशिश करता है तो वह खुद उसे धराशायी कर सकतीं हैं। इस दौरान उन्होंने छात्राओं को जूडो कराटे के जरिए खुद की रक्षा का गुर सिखाया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.