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गौरी ने कई देशों में मैनपुरी का नाम किया रोशन

Published - Thu 07, Mar 2019

अपराजिता बेटियां बनीं मिसाल

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मैनपुरी। 80 और 90 के दशक में मैनपुरी जैसे छोटे शहर से लड़की के लिए बाहर जाना चिंताजनक था। तब नगर के बड़ा चौराहा निवासी सुरेश्वरी प्रसाद मौडवैल एडवोकेट की पुत्री डॉ. गौरी मौडवैल ने इन चिंताओं की तरफ ध्यान नहीं दिया। पिता और मां आशा मौडवैल की प्रेरणा से मैनपुरी शहर से वह बाहर निकलीं, तो जनपद का नाम केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई बड़े देशों में रोशन किया। अमेरिका, इंग्लैंड और मलेशिया में भारत सरकार की तरफ से सहभागिता कर अपने विचार रखे। वर्ष 1991 में नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर से उन्होंने अपने कॅरिअर की शुरुआत की। 1999 में भारत सरकार ने तंजानिया में आयोजित डब्लूटीओ सेमिनार में भाग लेने के लिए भेजा। वर्ष 2005 में वे भारत सरकार के देहली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में शामिल हुईं। वर्ष 2009 में उन्हें भारत सरकार की तरफ से मलेशिया भेजा गया। उन्होंने अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में भारत की तरफ से शोधपत्र प्रस्तुत किया। वर्ष 2010 में देहली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर के पद पर तैनात हुईं। वर्ष 2013 में वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करने पहुंचीं। वर्ष 2014 से वे देहली इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

मौडवैल से सीख लें जिले की बेटियां
डॉ. गौरी मौडवैल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नगर के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से शुरू की। यहां से ही उन्होंने वर्ष 1978 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की। वर्ष 1980 में इसी कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1985 में सेंट जोंस कॉलेज आगरा से परास्नातक की डिग्री हासिल की। अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के बाद उन्होंने मैनपुरी से निकलकर कई देशों का भ्रमण किया।