अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
अल्का ठाकुर, पहली बांसुरीवादक
लखनऊ। बांसुरीवादन का जिक्र आते ही जेहन में नाम आता है प्रख्यात बांसुरीवादक हरिप्रसाद चौरसिया और उनके बाद उनकी शिष्या देवप्रिया और रसिका का। इसी राह पर चल पड़ी हैं लखनऊ की बेटी अल्का ठाकुर। बांसुरीवादन में एमपीए करने वाली पहली महिला हैं अल्का। वह छह साल की उम्र से ही बांसुरी बजा रही हैं। उनके पापा खुद एक संगीतकार हैं और बांसुरी, हारमोनियम समेत कई वाद्यों पर उनकी पकड़ है। अल्का बताती हैं, पापा को बांसुरी बजाते देखा करती थी। कहीं पापा डांटें नहीं इस डर से छुप-छुप कर बजाती थी। एक दिन मां ने देख लिया और पापा को बता दिया। पापा ने बजाने को कहा तो मैंने बांसुरी पर ओम जय जगदीश हरे...सुनाया। उसके बाद से पापा हमें सिखाने लगे। फिर मेरा एडमिशन भातखंडे में करा दिया। लेकिन जब बांसुरीवादन में कॅरिअर बनाने की बात कही तो उन्होंने मना कर दिया। हालांकि मेरी लगन देखकर बाद में उन्होंने अनुमति दे दी। अब मैं पीएचडी करूंगी। राइजिंग स्टार में शंकर महादेवन के साथ जुगलबंदी करने वाली अल्का कहती हैं कि मैं मंच पर तो प्रस्तुति दे ही रही हूं, पर मकसद स्टूडेंट्स को सिखाना है। कोई भी लड़की जो बांसुरी सीखना चाहती है और फीस के लिए पैसे नहीं हैं, तो उसे निशुल्क सिखाऊंगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.