अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
लखनऊ। भाई को छोटी-छोटी चीजें लाने के लिए कहना पड़ता था, तो वह नखरे दिखाता था। एक दिन खुद ही उसकी बाइक उठाई और सीखनी शुरू कर दी। फिर एक दिन रॉयल एनफील्ड चलाने का मन किया फिर यही पसंदीदा बाइक बन गई। बाइकरनी ग्रुप की लखनऊ चैप्टर की प्राची की यही कहानी है। वे अपनी टीम की सदस्यों देविना, नीतू सिंह, नीतू यादव, अपूर्वा, सुमति व आयशा के साथ मिलकर बाइक राइडिंग के जरिए लोगों में सड़क सुरक्षा, महिला सशक्तीकरण समेत कई तरह के संदेश दे रही हैं। ग्रुप की सभी सदस्य जॉब में हैं, लेकिन बाइकिंग के बहाने अपनी सोशल ड्यूटी पूरी कर रही हैं। कहती हैं, लोग हमें सुनते हैं, क्योंकि हम कुछ अलग तरीके से जाकर अपनी बात कहते हैं।
बुर्का वाली राइडर
इसी ग्रुप की सदस्य हैं बुर्काराइडर आयशा आमीन। आयशा ने बुर्का पहनकर बाइकिंग का संदेश दिया। वे कहती हैं, मैं चार-पांच साल से बाइक चला रही हूं। मुझे कभी बुर्का पहनकर बाइक चलाने में दिक्कत नहीं हुई। आमतौर पर कहा जाता है कि हिजाब, बुर्का आपकी प्रगति में बाधा है, जबकि ऐसा होता नहीं है। अपनी परंपराओं के साथ भी हम आगे बढ़ सकते हैं।
प्राची जैन/आयशा आमीन/ देविना/ नीतू सिंह/ नीतू यादव/ अपूर्वा/ सुमति अरोड़ा
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.