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गोवंश को भूखे भटकते देखा तो गोसेवक बन गईं सुदेवीदासी

Published - Mon 11, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां

aparajita changemakers betiyaan fedric irin brooning/sudevi dashi

मथुरा। जर्मन की रहने वालीं फेडरिक इरिन ब्रूनिंग जिन्हें मथुरा में सुदेवीदासी के नाम से जाना जाता है, वे ब्रज दर्शन के लिए 1976 में मथुरा आईं थीं। उन्होंने यहां गोवंश को भूखे भटकते देखा। घायल देखा तो राधाकुंड में गोशाला खोल दी। आज उनकी गोशाला में 2000 गोवंश है। राधाकुंड में सुरभि गोसेवा निकेतन खोला है। भारत सरकार ने उन्हें इसी वर्ष पद्मश्री से विभूषित किया था। सुदेवीदासी घायल गोवंश का अपनी गोशाला में ले जाकर इलाज कराती हैं। वह ब्रज दर्शन के लिए आईं थीं और यहीं की होकर रह गईं। गोवर्धन और राधाकुंड में बीमार गोवंश को देखकर सुदेवीदासी दासी व्याकुल हो गईं थीं। पहले तो किसी तरह से पशु चिकित्सकों की मदद से उपचार कराया, लेकिन बाद में खुद गोशाला खोल दी थी। शुरू में कम ही गोवंश था, लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई। खास बात यह है कि कोई बड़ा सरकारी अनुदान भी गोशाला को नहीं मिलता है।