अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
वाराणसी। कोई नहीं जानता था कि वाराणसी से 15 किलोमीटर दूर गरीब मुस्लिम बुनकर परिवार में पैदा हुईं नुसरत जहां के काम को अंतरराष्ट्रीय डिजाइनर रितु बेरी सराहेंगी और केंद्रीय मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला उन्हें सम्मानित करेंगी, लेकिन सात सालों के कठिन परिश्रम से यह हुआ। नुसरत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन व हथकरघा बुनकरों की बेहतरी के लिए काफी काम किया। वह आईका नई दिल्ली के सहयोग से चलाई जा रही गोइंग ग्रीन परियोजना में सुपरवाइजर हैं। नुसरत 150 महिलाओं को 10 स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वावलंबी बनाने के साथ 110 बुनकर व शिल्पी जागरूकता बैठकों का आयोजन कर चुकी हैं। 240 बुनकरों को पहचान पत्र, 62 को हैंडलूम मार्क दिलवा चुकी हैं। 24 बुनकरों को बैंकों से ऋण उपलब्ध करवाया है। नुसरत साइकिल से लोहता, मंगलपुर, हरपालपुर, रहीमपुर, धन्नीपुर, महमूदपुर में बुनकरों व शिल्पियों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जागरूक करती हैं। उस्ताद योजना की शुरुआत जब वाराणसी में मई, 2015 में हुई तो नुसरत की अगुवाई में 150 महिलाओं व लड़कियों ने भागीदारी की थी। पूर्वांचल विश्वविद्यालय से स्नातक कर चुकीं नुसरत के साहसिक कदम की खूब सराहना हो रही है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.