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नारी संरक्षण गृह की युवतियों की पुष्पां​जलि ने बदल दी जिंदगी

Published - Mon 11, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां

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वाराणसी। ‘हवाएं जोर कितना ही लगाएं आंधियां बनकर, मगर जो घिर के आता है वो बादल छा ही जाता है’ इन्हीं पंक्तियों से पुष्पांजलि शर्मा नारी संरक्षण गृह और अन्य गरीब महिलाओं में जोश भरती हैं। झारखंड की यह बेटी कक्षा दस पास करने के बाद काशी में बहू बनकर आई। घूंघट की आड़ से जब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती तो सभी हतप्रभ रह जाते। पिता के साथ ससुराल वालों का साथ मिला और उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए किया। केरल में योग की शिक्षा ली और योग के माध्यम से लोगों को स्वस्थ रहने के गुर सिखाने लगीं। इसी बीच पुष्पां​जलि को जैतपुरा स्थित नारी संरक्षण गृह और रामनगर स्थित बाल सुधार गृह में रह रहे लोगों की मनोदशा के बारे में पता चला तो उन्हें उबारने की ठान ली। अपने खर्च पर कैंप लगाया और युवतियों में नकारात्मकता के छांटने के लिए योगाभ्यास और मोटीवेशन क्लासेज शुरू कीं। कुछ माह में नारी संरक्षण गृह की कई लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हो गईं। कुछ ने कुटीर उद्योग के गुर सीखे तो कुछ ने नर्स की ट्रेनिंग लेकर मरीजों की सेवा शुरू कर दी। पुष्पांजलि के प्रयासों की चर्चा भी होने लगी। योग में उत्कृष्ट योगदान और महिलाओं के सामाजिक उत्थान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं। थाईलैंड के पटाया शहर में आयोजित वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस स्पोर्ट्स स्पर्धा में पुष्पांजलि ने महिला विंग की असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।