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विरोध के बावजूद सरिता ने महिलाओं को शिक्षा से जोड़ा

Published - Mon 11, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां

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वाराणसी। ‘जहां चाह, वहां राह’ इसे चरितार्थ किया है मात्र 17 साल की उम्र में शादी के बंधन में बंधने वाली चिरईगांव की सरिता देवी ने। संयुक्त परिवार होने के कारण घर के कामकाज में ही साल बीतते गए, लेकिन कुछ करने की इच्छा सरिता को बेचैन कर देती। इस पर पति ने आगे पढ़ने के लिए हौसला बढ़ाया। स्नातक करने के बाद सरिता ने इसका उपयोग समाज के लिए करने की ठानी और स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। छह साल बाद दलित महिलाओं को भी शिक्षित करने का फैसला किया। घरवालों ने इसका विरोध किया, लेकिन सरिता ने इरादे कमजोर नहीं पड़ने दिए और दलित बस्ती की महिलाओं को पढ़ाना व उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में जुट गईं। महिलाओं को फूल की खेती, सब्जी, पशुपालन के साथ दुकान चलाना सिखाया। बैंकों तक पहुंचाकर निर्भीक बनाया। अब गुदना, मालती, सुखिया, मुन्नी, शकुंतला जैसी सैकड़ों महिलाओं की टीम महिला शक्ति के नाम से तैयार हो गई है। अब सरिता चिरईगांव विकासखंड के संदहा, बरियासनपुर, सीवों, शंकरपुर, गौरा, आराजी, नेवादा, घुघुरी, पचरांव, मुस्तफाबाद और छोटी पिछवारी गांवों की 210 महिलाओं को सशक्त कर रही हैं।