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आठ साल की उम्र में ही भागवताचार्य बनी शैलकिशोरी

Published - Mon 11, Mar 2019

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मथुरा। मांट के गांव गड़ी मनसुख निवासी दिनेश कुमार चौधरी की बेटी शैलकिशोरी आठ साल की उम्र में ही भागवताचार्य बन गईं थीं। वह राधा-कृष्ण की लीलाओं का गुणगान करती हैं। शैलकिशोरी का कहना है कि उनके परिवार में शुरूआत से ही धार्मिक माहौल था। उनकी मां जहां भी कथाओं को सुनने जाती थीं वह साथ में जाती थीं। बस यहीं से शैलकिशोरी में खुद भागवताचार्य बनने की इच्छा बन गई। आज वह देशभर में भगवान का गुणगान कर रही हैं। प्रदेश ही नहीं देश के अधिकांश राज्यों में उनके कार्यक्रम होते हैं। घर के मंदिर में सुबह शाम पूजा होती थी। पूरा परिवार साथ बैठकर ठाकुर जी की आराधना करता था। अगर कोई भागवत कथा होती तो वहां सब लोग जाते। शैलकिशोरी को भी भागवत में दिलचस्पी बढ़ती गई। वह भी भगवान की बड़ी भक्त बन गईं।