अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
वैष्णवी भीष्म, बहुमुखी प्रतिभा
लखनऊ। वैष्णवी का सपना मजिस्ट्रेट बनना है। एलएलएम करने के बाद उसी की तैयारी में जुटी हैं। बचपन से ही कविता लिखने का शौक है। समाज की विसंगतियां उन्हें विचलित करती हैं और वे शब्दों के रूप में उन्हें कागज पर उतारती हैं। कविता संग्रह ‘निशांत का दीप’ प्रकाशित हो चुका है। पिछले नौ साल से थियेटर करती आ रही हैं। ओडिशी नृत्य का पहला चरण पूरा कर लिया है। संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में अब तक 8 नाटक कर चुकी हैं। इनमें से सबसे लोकप्रिय रहा संस्कृत नाटक, जिसके चार मंचन हो चुके हैं। इनमें से एक कुंभ में हुआ। वैष्णवी कहती हैं, एक बात जो खीझ पैदा करती है कि लोग अपने परंपरागत मूल्यों को छोड़कर वेस्टर्न की ओर भाग रहे, जबकि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। दूसरी संस्कृति सम्मान का जरूरी है, पर अपनी संस्कृति को न भूलें। वहीं, हमें महिलाओं के प्रति धारणा बदलनी होगी। कुरीतियां आज भी हैं, क्योंकि हम उन्हें ढो रहे हैं। हमें इन्हें छोड़ने का संकल्प लेना होगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.