Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

गौरवान्वित करती गर्विता के तबले की थाप

Published - Wed 06, Mar 2019

अपराजिता फेस ऑफ कल्चर

aparajita face of culture garvita mishra lucknow

लखनऊ। महज छह साल की थी वह, जब उसने पहली बार पंडित किशन महाराज सभागार में तबला बजाया था। वहां मौजूद संगीत प्रेमियों ने कहा था कि इसके तबले की हर थाप इसके उन्नत भविष्य का संकेत दे रही है। तबसे पढ़ाई के साथ-साथ उसका रियाज जारी है। गर्विता मिश्रा के पिताजी स्वयं एक तबला वादक हैं और भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय में तालवाद्य विभाग में विभागाध्यक्ष हैं। गर्विता कहती हैं, आमतौर पर तबला पुरुष वाद्य माना जाता है, हालांकि अब लड़कियां भी इसमें अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। मंच शेयर कर रही हैं, टीचिंग में भी अच्छा स्कोप है। सीएमएस की छात्रा गर्विता (16) को उनके बेहतरीन प्रदर्शन के कारण 2016 में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति मिली।

पापा की विरासत अब मेरी : गर्विता कहती हैं, मैं जब छोटी थी तभी पापा के साथ प्रोग्राम में जाती-आती थी। हालांकि पापा ने कभी मुझ पर तबला सीखने के लिए दबाव नहीं डाला, लेकिन जब बजाने लगी तो रियाज के अनुशासन का पाठ उन्होंने ही पढ़ाया। मैं चाहती हूं कि पापा गर्व करें कि उनकी बेटी ने उनकी विरासत संभाली। मैं बनना तो आर्किटेक्ट चाहती हूं। तबला वादन मेरा पैशन है।

गर्विता मिश्रा, तबला वादक