अपराजिता फेस ऑफ कल्चर
लखनऊ। बचपन से ही डांस सीखना चाहती थीं, लेकिन घर से इसलिए नहीं निकल सकीं क्योंकि कोई ले जाने-लाने वाला नहीं था। थोड़ी बड़ी हुईं, रास्तों की समझ आई तो घर से जाने की इजाजत मिली और नेहा मिश्रा ने डांस क्लास जॉइन कर ली। कथक गुरु स्व. पंडित अर्जुन मिश्रा के बेटे पं.अनुज मिश्रा उनके बचपन के मित्र थे। उन्होंने ही अपने पिता की क्लास जॉइन करने की सलाह उन्हें दी। कथक गुरु ने उनका डांस देखा तो उन्हें अपनी शिष्या बना लिया। दस साल तक उनसे कथक सीखा। नेहा कहती हैं, मैंने कथक देर से सीखना शुरू किया, लेकिन पर क्लास में हमेशा आगे रही। खास बात है कि शिष्या से बहू बनीं नेहा अपनी पारिवारिक परंपरा को बखूबी सहेज रही हैं।
जब बॉलीवुड भी हुआ उनके डांस का दीवाना
नेहा ने अपनी ननद के साथ रियलिटी शो में हिस्सा लिया था। कहती हैं, जब लारा दत्ता समेत सभी जजों ने मेरी तारीफ की तो लगा कि यह मेरी नहीं, लखनऊ घराने की देन है। नेहा बताती हैं, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था। वेट भी 99 किग्रा हो गया था, लेकिन थोड़ी सी ज्यादा मेहनत ने सब ठीक कर दिया। देश-विदेश में अपना हुनर दिखा चुकीं नेहा कहती हैं कि फिलहाल मेरी कोशिश कथक में पारंगत ऐसे डांसर तैयार करना है, जो दुनिया तक पहुंचा सकें लखनवी घराने की खुशबू।
नेहा मिश्रा
कथक नृत्यांगना
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.