अपराजिता फेस ऑफ कल्चर
लखनऊ। पढ़ने से ज्यादा तृप्ति पाहवा को ड्राइंग करना अच्छा लगता था। कलर और ब्रश से लगाव ने उन्हें म्यूरल आर्टिस्ट बना दिया। पर उनका दायरा कहीं ज्यादा विस्तार लिए है। आर्टिस्ट होने के साथ-साथ वे ऐसी गुरु हैं, जिनके स्टूडेंट्स में 14 साल से लेकर 55 साल तक की महिलाएं हैं। यही नहीं, आर्टथेरेपी के जरिए वे कई युवतियों की जिंदगी में दोबारा खुशियां लेकर आईं। वे मोटिवेशनल स्पीकर नहीं हैं, लेकिन आर्ट सिखाते-सिखाते लोगों के जीवन को एक दिशा दे रही हैं। तृप्ति के स्टूडेंट दुबई, कनाडा, न्यू जर्सी, गुजरात, मुंबई तक में हैं जिन्हें वे ऑनलाइन सिखाती हैं। फिलहाल वे अमेरिका के एक रेस्टोरेंट के लिए इंडियन हेरिटेज पर पेंटिंग का ऑर्डर पूरा करने में व्यस्त हैं। कहती हैं कि आर्ट को कॅरिअर बनाने से लोग इसलिए हिचकते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसमें कमाएंगे क्या। सच तो ये है कि लोगों को मालूम नहीं कि आर्ट की मार्केटिंग भी होती है। लोगों को हम इसके बारे में भी सिखाते हैं।
बेटी में खुद-ब-खुद ट्रांसफर हो गया हुनर
तृप्ति गर्व से कहती हैं, गुलप्रीत ने सच कर दिखाया कि बेटी मां की परछाईं होती है। यूं तो वह इंटीरियर डिजाइनर बनना चाहती है, लेकिन मैं गर्व से कह सकती हूं कि उसे वह सबकुछ आता है, जो मैं कर सकती हूं। मिनिएचर हो, म्यूरल आर्ट हो या फिर कुछ और। गुलप्रीत के मुताबिक, अच्छा लगता है मम्मी के साथ काम करके। स्कूल में जब मैंने पहली बार मिट्टी के गणेश बनाए थे, तब किसी ने यकीन नहीं किया था, मुझे फिर से बनाकर दिखाना पड़ा। आज लोगों को विश्वास है कि मेरी बनाई पेंटिंग्स भी डिमांड में हैं।
मां तृप्ति पाहवा, बेटी गुलप्रीत
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.