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लोगों को कला से जोड़ना बना उमा और रेणु की जिंदगी का मकसद

Published - Wed 06, Mar 2019

अपराजिता फेस ऑफ कल्चर

aparajita face of culture uma and renu lucknow

लखनऊ। पति के तबादले के साथ ही जगह बदलती रहती थी। नए-नए अनुभव मिलते। लोक गायन और कविता लेखन दोनों साथ-साथ चल रहा था। इस बीच पति का ट्रांसफर लखनऊ हो गया। लोक गायिका, कवयित्री उमा त्रिगुणायत बताती हैं, लखनऊ आने के बाद अहसास हुआ कि एक कलाकार के लिए मंच कितना जरूरी होता है। इसी सोच ने सांस्कृतिक एवं शैक्षिक संगठन अल्पिका को जन्म दिया। कवि गोष्ठियों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने वाली उमा पिछले तीस साल से कलाकारों को मंच प्रदान करने के साथ-साथ लगातार उन्हें निखारने का भी काम कर रही हैं। 80 साल से भी अधिक की उम्र में उनका जज्बा कई युवाओं को मात देता दिखता है। कहती हैं कि पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी कर दीं, कुछ अपनी संतुष्टि के लिए भी तो करना है न।

मां की प्रेरणा ने बना दिया कोरियोग्राफर
नफासत और अदब के शहर की बेटी रेणु ने अपनी पहचान एक सफल कोरियोग्राफर व कथक गुरु के रूप में बना ली है। भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय से विरासत करने के बाद स्कॉलरशिप लेकर पं. बिरजू महाराज से प्रशिक्षण हासिल करने चली गईं। हाल ही उन्होंने सुपर-30 फिल्म के लिए कोरियोग्राफी की है। शास्त्रीय नृत्य के अलावा वे लेखन व साहित्य में भी उतना ही दखल रखती हैं। कथक गोष्ठी, कार्यशाला और लेक्चर डेमान्सट्रेशन के आयोजक के रूप में उन्होंने लखनऊ, देहरादून, मुंबई समेत कई शहरों में शिष्यों को मंच दिया है। टीवी सीरियलों में नृत्य निर्देशन के अलावा उन्होंने राजस्थानी फिल्म बाबा रामदेव पीर व हिंदी फिल्म शतरंज केखिलाड़ी में भी काम किया है। 2018 में उन्हें स्मार्क अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

उमा त्रिगुणायत (मां), रेणु शर्मा