Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

रिटायरमेंट की उम्र में भी नहीं थकीं यायावर लेखिका विनीता

Published - Wed 06, Mar 2019

अपराजिता फेस ऑफ कल्चर

aparajita face of culture vinita mishra lucknow

लखनऊ। रिटायरमेंट की उम्र में लोग थक-हार कर बैठ जाते हैं या सुविधाओं से दिन गुजारने की कोशिश करते हैं, लेकिन विनीता मिश्रा की बात ही कुछ अलग है। वे इन दिनों यायावरी में व्यस्त और मस्त हैं। जितनी शांत वे खुद हैं, उतनी ही दूर तक जाती है उनके लिखे शब्दों की आवाज। उनकी लेखनी स्त्री के विभिन्न मनोभाव, नारी सशक्तीकरण, आध्यात्मिक व सामाजिक विसंगति को आईना दिखाती नजर आती है। साइंस क ी स्टूडेंट होकर हिंदी में लेखन व रुचि के बारे में कहती हैं, बचपन से लिखती रही हूं। मेरी बेटी ने मेरा परिचय अपने दोस्तों से कराया। उसकी ही एक दोस्त ने मुझे बताया कि आपके लिखे हुए को पढ़ना लोगों का अधिकार है। इसके बाद ही मैंने छपने का महत्व जाना। कई कविताएं व लेख प्रकाशित हो चुके हैं। दो कविता संग्रह प्रकाशन की ओर हैं।

कोई संस्था नहीं, बस अपना काम किए जा रहीं
अक्सर वे गरीब बच्चों को पढ़ाती दिख जाती हैं तो कभी बस्तियों में पोलियो ड्रॉप का महत्व बताने पहुंच जाती हैं। फिलहाल महिलाओं को आर्थिक निर्भरता के महत्व का पाठ पढ़ा रही हैं। साथ ही अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित कर रही हैं।

- विनीता मिश्रा