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शतरंज की बिसात पर संस्कृति का जादू

Published - Wed 06, Mar 2019

अपराजिता मैदान की महारथी

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संस्कृति गोयल, शतरंज, तीन साल की उम्र में खेलना शुरू किया

आगरा। शतरंज की खिलाड़ी संस्कृति गोयल ने जिस समय सेंट एंड्रूज में लगे कैंप में भाग लिया, उस समय उनकी उम्र महज तीन साल थी। उनके परिवार में कुछ लोग शतरंज खेलते थे, इसलिए उनमें भी शतरंज खेलने की ललक जागी। आगरा में हुए यूपी स्टेट अंडर-9 चेस चैंपियनशिप में उन्होंने प्रतिभाग किया। इस चैंपियनशिप में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद संस्कृति लगातार मेडल जीतती रहीं। भावना एस्टेट की रहने वालीं संस्कृति के पिता दीपक गोयल ने भी खेल में उनका साथ दिया।

विश्व यूथ चैंपियनशिप में कांस्य पदक पर किया कब्जा
यूनान में आयोजित हुई विश्व यूथ शतरंज चैंपियनशिप में अंडर-16 में कांस्य पदक पर कब्जा किया। इस चैंपियनशिप में संस्कृति अंतरराष्ट्रीय स्तर की सबसे मजबूत खिलाड़ी को हराकर कांस्य पदक विजेता बनीं। अंडर-16 आयु वर्ग में शतरंज की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी रह चुकी हैं। वर्ष 2017 में संस्कृति ने नेशनल चैंपियनशिप में अंडर-15 में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। सन् 2018 में थाईलैंड में हुई एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप में अंडर-16 में उन्होंने सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। अहमदाबाद में वर्ष 2017 में हुई अंडर-15 नेशनल गर्ल्स चेस चैंपियनशिप में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया।