अपराजिता मैदान की महारथी
सोनिया शर्मा, शूटिंग
आगरा। शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने वाली दिव्यांग शूटर सोनिया शर्मा के पिता ठाकुर दास का सपना था कि उनकी बेटी एक दिन शूटिंग में देश का नाम रोशन करे। इसके लिए उन्होंने सोनिया को पिस्टल दिलाने की कवायद शुरू कर दी। लेकिन कुछ समय बाद ही उनके पिता की मृत्यु हो गई। सोनिया ने अपने पिता को असली श्रद्धांजलि देने का संकल्प लिया। एक साल बाद उनको अपने कॅरियर की पहली पिस्टल मिल सकी। इसके बाद दिन-रात शूटिंग की। मेहनत करके सोनिया उस मुकाम पर पहुंची हैं जहां पहुंचना किसी भी शूटर के लिए सपना होता है।
दस मीटर एयर पिस्टल में आठवीं रैंक
बल्केश्वर की रहने वालीं निशानेबाज सोनिया ने सन् 2017 में बैंकॉक में हुई पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। पूना में सन् 2017 में हुई नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल विजेता रहीं। सन् 2018 में दुबई में हुए पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप में दस मीटर एयर पिस्टल में उनकी आठवीं रैंक रही।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.