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जंगल में रहती हैं लक्ष्मीकुट्टी अम्मा, अब तक बनाई 500 औषधियां

Published - Fri 15, Mar 2019

अपराजिता मिसाल

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पद्मश्री लक्ष्मीकुट्टी अम्मा

50 साल तक गुमनामी में रहकर परंपरागत औषधीय पौधों को सहेजने वाली केरल की लक्ष्मी कुट्टी अम्मा को 2018 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपनी याददाश्त से करीब 500 औषधियां बनाकर लोगों को जीवनदान दिया है। इसमें सांप व अन्य जहरीले वन्यजीवों द्वारा काटे जाने पर दी जाने वाली औषधियां भी शामिल हैं। अम्मा की पहचान 'पॉइजन हीलर' के रूप में है। कविता, नाटक लिखने के साथ-साथ वह फोकलोर स्कूल में पढ़ाती भी हैं। दो साल पहले उनके पति का निधन हो गया था। वह जंगल में अकेली रहती हैं और औषधीय पौधों पर काम कर रही हैं। उनके मुताबिक, उन्हें यह ज्ञान अपनी मां से विरासत में मिला है। उनके बेटे को सांप ने काटा था और समय पर इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई थी। अम्मा कहती हैं कि हम गांव के लोग कई किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं, बीच रास्ते में वन्यजीवों से सामना होता है। आमतौर पर सांप के काटने पर यदि तुरंत इलाज न मिले तो मौत हो जाती है, सरकार को दूरदराज के गांवों तक चिकित्सकीय सुविधाएं पहुंचाने का प्रबंध करना चाहिए।