Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

कला और साहित्य से अनुराग ने दिलाया डॉ. मुक्ता को सम्मान

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता नारी की सफलता

aparajita nari ki safalta dr mukta varanasi

वाराणसी। संसदीय हिंदी परिषद द्वारा राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान से सम्मानित अन्नपूर्णा नगर कॉलोनी की साहित्यकार डॉ. मुक्ता पढ़ाई में अव्वल रहीं। माता पिता की इच्छा थी कि वे डॉक्टर बने, लेकिन उनकी रुचि साहित्य और कला में थी। इसी वजह से पढ़ाई के साथ संगीत एवं नृत्य की भी शिक्षा ली। कक्षा पांच से उन्होंने तुकबंदियां लिखनी शुरू कर दी थीं। डॉ. मुक्ता की पहली कहानी ‘कैक्टस भरी जिंदगी’ प्रकाशित हुई। इसके बाद कहानी संग्रह पलास वन के घुंघरू, आधा कोष, इस घर उस घर, सीढ़ियों का बाजार का प्रकाशन हुआ। डीडी भारती पर प्रसारित विद्यानिवास मिश्र के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र ‘चितवन की छांह’ का निर्देशन भी किया। उन्हें संसदीय हिंदी परिषद से राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान, भारतेंदु प्रभा सम्मान, प्रेमचंद सम्मान, श्यामा देवी बेरी सम्मान, गायत्री साहित्य संस्थान, साहित्य शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन उनकी राह इतनी आसान नहीं थी। दिल्ली के राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में शिक्षिका बनीं, लेकिन पति का स्थानांतरण करनाल हो गया। पारिवारिक समस्याओं के चलते नौकरी छोड़कर करनाल जाना पड़ा। कुछ करने के जज्बे ने उन्हें घर में नहीं बैठने दिया। कामता महराज से कथक की शिक्षा ले चुकीं डॉ. मुक्ता ने करनाल में ही युवाओं को नृत्य का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया और अपनी अलग पहचान बनाई। डॉ. मुक्ता अब भी साहित्य की साधना में लगी है।