400 छात्राओं ने सीखे आत्मरक्षा के तरीके
वाराणसी। सड़क किनारे चलते वक्त, बस-टैक्सी में सफर करते समय या अपने ही घर के आसपास, कभी भी और कहीं भी महिलाओं की सुरक्षा और शुचिता पर असामाजिक तत्व हाथ नहीं डाल सकते। बस आपको सुरक्षा की तकनीक पता होनी चाहिए। इसलिए मुसीबत में घबराएं नहीं, बल्कि डटकर सामना करें। यह टिप्स अमर उजाला फाउंडेशन, अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स और मानव एकेडमी ऑफ मार्शल आर्ट्स के संयुक्त तत्वावधान में 12 अप्रैल को भोजूबीर स्थित कस्तूरबा बालिका इंटर कॉलेज में सेल्फ डिफेंस कैंप के दौरान दिए गए। कैंप के पहले दिन 400 छात्राओं को मानव एकेडमी ऑर्फ मार्शल आर्ट्स के ट्रेनरों ने बताया कि सामने से अगर आपको किसी पर वार करना हो तो उसके नाक पर पंच मारें। समन्वयक दिव्या पांडेय, माया पटेल और प्रशिक्षक कामिनी सिंह, स्नेहलता सिंह, साक्षी तिवारी, अंजलि पटेल, प्रिया खरवार आदि ने छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया। सात दिन तक चलने वाले इस शिविर के पहले दिन सेल्फ डिफेंस वर्कशॉप में प्रशिक्षण के बाद छात्राएं बहुत उत्साहित दिखीं। विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. सुधा सिंह ने शिविर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्कूल के सभी शिक्षक मौजूद रहे। मानव एकेडमी ऑफ मार्शल आर्ट्स के मुख्य प्रशिक्षक सिहान एचएन सिंह व महासचिव सेंसेई किसलय मानव की देखरेख में चल रहे कैंप में छात्राओं को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे।
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बढ़ेगा आत्मविश्वास
ऐसे कार्यक्रम नियमित तौर पर सभी स्कूलों और कॉलेजों में चलने चाहिए। इस तरह की कार्यशाला से लड़कियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- डॉ. सुधा सिंह, प्रधानाचार्या, कस्तूरबा बालिका इंटर कॉलेज
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बेटियां कर सकेंगी मुसीबतों का सामना
स्कूल आने जाने के दौरान छात्राओं के साथ कई बार अप्रिय घटनाएं होती हैं। यह ट्रेनिंग उन्हें ऐसी मुसीबतों और परिस्थितियों का सामना करना सिखाएगी।
- डॉ. मंजूलता सिंह, संयुक्त सचिव, मानव एकेडमी ऑफ मार्शल आर्ट्स
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.