भागीरथ पब्लिक स्कूल में अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए।
गाजियाबाद। मुसीबत के समय कोई आपकी मदद नहीं करता तो आपको इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। आप खुद को इतना मजबूत बनाएं कि स्वयं जवाब दें सकें। क्योंकि आज का दौर बदल चुका है। आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। इसी संदेश के साथ भागीरथ पब्लिक स्कूल में अमर उजाला के अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स अभियान के तहत छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए। शिविर में छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सीखा कि किस तरह जूडो-कराटे के छोटे-छोटे दांव से वह किसी भी शरारती तत्व को सबक सिखा सकती हैं। इस दौरान जूडो कोच ने तमाम टिप्स दिए।
शुक्रवार को संजयनगर सेक्टर-23 स्थिति भागीरथ पब्लिक स्कूल में छात्राओं को कराटे एसोसिएशन ऑफ गाजियाबाद के अध्यक्ष संतोष कुमार ने 200 से अधिक छात्राओं को आत्मसुरक्षा के टिप्स दिए। उन्होंने छात्राओं को मुसीबत के समय असामाजिक तत्वों से लड़ना सिखाया। इस दौरान छात्राओं को विभिन्न सुरक्षात्मक उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया और आत्मरक्षा के टिप्स से भी अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि आत्मरक्षा के लिए किसी उपकरण या हथियारों की आवश्यकता नहीं है। थोड़ी सावधानी, सतर्कता और आत्मविश्वास के साथ हम किसी भी दुर्घटना से बच सकते हैं। लड़कियां किसी भी क्षेत्र में कमजोर नहीं हैं। हिम्मत, साहस और मजबूत इरादों के साथ हर कार्य करना चाहिए। हर लड़की को जूडो-कराटे आदि का प्रशिक्षण लेना चाहिए, क्योंकि हुनर किसी भी समय उनके काम आ सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति रास्ते में चलने के दौरान आपसे छेड़छाड़ करता है तो ऐसी स्थिति में आपको बहुत ज्यादा अलर्ट रहने की आवश्यकता है। जब तक आप अलर्ट नहीं रहोगे, सामने वाला आप पर हमेशा हावी रहेगा। उन्होंने अभ्यास करके आत्मसुरक्षा के बारे में बताया। छात्राओें ने ट्रेनर से सुरक्षा को लेकर कई सवाल पूछे।
छात्राओं से बात
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.