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तेरह साल से शहीद स्मारक के लिए लड़ रहीं अंजू

Published - Thu 07, Mar 2019

अपराजिता वीर नारी

मथुरा। लोकेंद्र के शहीद होने के बाद बच्चों की जिम्मेदारी परिवार पर आ गई थी। पत्नी अंजू अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही हैं। वीरनारी अंजू गांव में पति का स्मारक बनवाने के लिए भी लड़ रही हैं। दरअसल प्रशासन ने स्मारक के लिए जमीन देने की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक जमीन का आवंटन नहीं हो सका है। अंजू कई बार अधिकारियों से मिल चुकी हैं। पूरे 13 साल हो गए संघर्ष करते-करते लेकिन अभी तक प्रशासन स्मारक के लिए भूमि उपलब्ध नहीं करा सका है। अंजू का कहना है कि वह जनप्रतिनिधियों से भी मिल चुकी है। सभी कह देते हैं कि हमनें अफसरों को बोल दिया है, लेकिन यह सब केवल कागजों में ही सिमटकर रह जाता है।

शहादत
बलदेव के गांव बल्टीगड़ी निवासी लोकेंद्र सिंह 7 जनवरी 2006 को कश्मीर में शहीद हो गए थे। सेना की एक कंपनी स्पेशल आपरेशन में जुटी हुई थी। आतंकवादी घुसपैठ करने की तैयारी में थे। दोनों तरफ से फायरिंग हो रही थी। आतंकियों से लोहा लेते लेते लोकेंद्र देश के लिए शहीद हो गए थे। लोकेंद्र सिंह ने आतंकियों को भागने के लिए मजबूर कर दिया था।