अपराजिता वीर नारी
मैनपुरी। विनायकपुर निवासी गीता देवी पर हाल ही में 14 फरवरी को संकट आया। पति रामवकील पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए। खबर गीता को लगी तो होश उड़ गए। वो बच्चों के साथ इटावा में थी। पति के शहीद होने के बाद पहाड़ जैसा दुख सहन करने के लिए उन्होंने हिम्मत की। अब पति के अधूरे सपने पूरे करने की जिम्मेदारी गीता पर है। बड़ा पुत्र अंकित उर्फ राहुल इस समय कक्षा छह का छात्र है। वहीं दूसरा पुत्र अर्पित सिंह कक्षा पांच का छात्र है तो तीसरा पुत्र अंश इस समय एलकेजी में पढ़ रहा है। अब तीनों बच्चों के भविष्य की गीता देवी को चिंता है। गीता देवी का कहना है कि पति ने मातृ भूमि की रक्षा के लिए वीरगति पाई है। अब उनकी जिम्मेदारी है कि वे उनके अधूरे सपनों को पूरा करें। वे कहती हैं कि पति ने बच्चों को लेकर जो सपने देखे थे उन्हें पूरा करने का वो पूरा प्रयास करेंगी।
शहादत
बरनाहल थाना क्षेत्र के गांव विनायकपुर निवासी रामवकील वर्ष 2000 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए। गरीब परिवार में नौकरी मिली तो परिजनों की खुशी का ठिकाना न था। सब कुछ अच्छा चल रहा था। 10 फरवरी को वे छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर गए। अचानक 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में वे शहीद हो गए। रामवकील के शहीद होने से पूरा परिवार बिखर गया है। प्रदेश सरकार ने पत्नी गीता देवी को इटावा विकास भवन में नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.