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पति के सपनों को पूरा करने में जुटीं कमला

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता वीर नारी

मैनपुरी। वर्ष 1971 में श्याम सिंह यादव के पाक युद्ध के दौरान शहीद होने के बाद पत्नी कमला देवी पर जैसा दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उस समय वे गर्भवती थीं। चार माह बाद कमला देवी ने पुत्र को जन्म दिया। अब कमला देवी पर जिम्मेदारी थी कि वे पति के अधूरे सपनों को पूरा करें। कमला देवी ने धैर्य से काम लिया और परिजनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर परिवार को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई। बेटा प्रदीप यादव की पढ़ाई पर ध्यान दिया। पति के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए आज 70 साल की उम्र में भी वे मेहनत कर रही हैं। कमला देवी का कहना है कि जो वीर अभी हाल ही में शहीद हुए हैं, उनकी वीर नारियां हिम्मत से काम लें। ईश्वर ने उन्हें एक मौका और दिया है। वे अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर देश की सेवा के लिए भेजें, जिससे वे अपने पिता के अधूरे कामों को पूरा कर सकें।

शहादत
कुसमरा क्षेत्र के गांव कूंड़ी निवासी श्याम सिंह यादव वर्ष 1965 में 13 कुमायूं रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। नौ दिसंबर 1971 को भारत-पाक युद्ध के दौरान वे शहीद हो गए। श्याम सिंह ने शहीद होने से पहले कई दुश्मनों को मार गिराया। आज भी श्याम सिंह की बहादुरी के चर्चे गांव में होते हैं। शहीद के नाम पर एक पेट्रोल पंप का भी संचालन हो रहा है।