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पति चाहते थे बेटा अफसर बने, मंजू उसे पूरा करने में जुटी

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता वीर नारी

मैनपुरी। कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए जब मुनीष शहीद हुए तो पत्नी मंजू यादव के सामने पहाड़ जैसा संकट खड़ा हो गया। मंजू यादव ने अपना धैर्य नहीं खोया। बेटा चंद्रशेखर और सुशांत की परवरिश की। परिवार का पूरा सहयोग किया। बेटों के साथ ही सास-ससुर व देवरों का भी पूरा ख्याल रखा। आज दोनों बेटे बीटेक कर रहे हैं। मंजू यादव कहती हैं कि उन्हें अपने पति की शहादत पर गर्व है। पति ने शहीद होने से पहले कई दुश्मनों को मिट्टी में मिला दिया। भारत माता की रक्षा करते हुए वे शहीद हुए। उनकी जो जिम्मेदारी अधूरी रह गई है, वह उसे पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। उनका सपना था बेटा अधिकारी बने इसके लिए वह बेटों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि देश पर जान न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों का देश हमेशा कर्जदार रहेगा।

शहादत
कारगिल चोटी पर पाक सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए बेवर क्षेत्र के ग्राम गढिय़ा घुटारा के ग्रेनेडियर सिपाही मुनीष कुमार तीन जून को शहीद हो गए थे। गांव में बना स्मारक उनकी शहादत की याद दिलाता है। जब भी सीमा पर हलचल तेज होती है, गांव के लोगों के लिए शहीद की यादें ताजा हो जाती हैं।