Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

बेटे को भी सेना में भेजना चाहती हैं मोमना

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता वीर नारी

मैनपुरी। अमरुद्दीन के शहीद होने के बाद उनकी पत्नी मोमना बेगम ने धैर्य नहीं खोया। जब पति की मौत हुई तो बेटा आरिफ खान मात्र नौ वर्ष का था। उन्होंने सरकार की ओर से मिली गैस एजेंसी का संचालन कर बेटे का पालन पोषण किया। अब वह चाहती हैं कि पिता की तरह ही बेटा भी सेना में भर्ती होकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करे। शहीद की पत्नी ने हाल ही में हुए पुलवामा हमले पर भी नाराजगी प्रकट की थी। उनका कहना है कि सरकार सेना को अधिकार दे, जिससे और अधिक लोग शहीद न हों। किसी सैनिक की पत्नी को अपना पति न खोना पड़े। मोमना चाहती हैं देश में शांति व्यवस्था बनी रहे। सेना के जवान भी खुली सांस ले सकें। मोमना ने देश की उन वीर नारियों को भी संदेश दिया, जिनके पति हाल ही में शहीद हुए हैं। वे कहती हैं कि मातृभूमि के हित में शहीद होने वालों की पत्नियां धैर्य से काम लें और बच्चों का उज्ज्वल भविष्य बनाएं।

शहादत

गांव दिवनपुर साहिनी निवासी ग्रेनेडियर हवलदार अमरुद्दीन कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए तीन जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे। उनकी शहादत को आज भी गांव के लोग नहीं भुला सके। शहीद की बहादुरी के चर्चें गांव में आम रहते हैं। शहीद होने से पहले अमरुद्दीन ने दुश्मनों के साथ कई घंटों तक लोहा लिया था। इस दौरान उन्होंने दो दर्जन से अधिक दुश्मनों को मार गिराया था। जब भी सीमा पर कोई आक्रमण होता है तो, शहीद के गांव वाले अमरुद्दीन को याद करते हैं।