अपराजिता वीर नारी
मैनपुरी। अमरुद्दीन के शहीद होने के बाद उनकी पत्नी मोमना बेगम ने धैर्य नहीं खोया। जब पति की मौत हुई तो बेटा आरिफ खान मात्र नौ वर्ष का था। उन्होंने सरकार की ओर से मिली गैस एजेंसी का संचालन कर बेटे का पालन पोषण किया। अब वह चाहती हैं कि पिता की तरह ही बेटा भी सेना में भर्ती होकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करे। शहीद की पत्नी ने हाल ही में हुए पुलवामा हमले पर भी नाराजगी प्रकट की थी। उनका कहना है कि सरकार सेना को अधिकार दे, जिससे और अधिक लोग शहीद न हों। किसी सैनिक की पत्नी को अपना पति न खोना पड़े। मोमना चाहती हैं देश में शांति व्यवस्था बनी रहे। सेना के जवान भी खुली सांस ले सकें। मोमना ने देश की उन वीर नारियों को भी संदेश दिया, जिनके पति हाल ही में शहीद हुए हैं। वे कहती हैं कि मातृभूमि के हित में शहीद होने वालों की पत्नियां धैर्य से काम लें और बच्चों का उज्ज्वल भविष्य बनाएं।
शहादत
गांव दिवनपुर साहिनी निवासी ग्रेनेडियर हवलदार अमरुद्दीन कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए तीन जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे। उनकी शहादत को आज भी गांव के लोग नहीं भुला सके। शहीद की बहादुरी के चर्चें गांव में आम रहते हैं। शहीद होने से पहले अमरुद्दीन ने दुश्मनों के साथ कई घंटों तक लोहा लिया था। इस दौरान उन्होंने दो दर्जन से अधिक दुश्मनों को मार गिराया था। जब भी सीमा पर कोई आक्रमण होता है तो, शहीद के गांव वाले अमरुद्दीन को याद करते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.