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18 साल बाद शहीद पति का शव आया तो सूख चुके थे आंखों के आंसू

Published - Sun 10, Mar 2019

अपराजिता वीर नारी

मैनपुरी। शहीद की पत्नी रामा देवी को 1996 से 1999 तक अपने पति के कहीं मिलने की आस थी। लेकिन 16 नवंबर 1999 को जब सेना ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया तो, उनकी वह आस भी टूट गई। रामा देवी को 18 साल बाद जब पति का शव मिलने की सूचना मिली तो उन्हें शांति मिली। पति का शव 18 साल बाद गांव पहुंचा तो आंसू भी सूख चुके थे। शहीद गयाप्रसाद जब गायब हुए थे तो बेटा सतीश 12 साल का था। रामा देवी ने उसकी देखभाल की। जब शहीद का शव मिलने की सूचना गांव पहुंची तो बेटा 30 साल का हो चुका था। रामा देवी ने हिम्मत नहीं तोड़ी बेटे को भी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया। रामा देवी का कहना है कि मातृभूमि की रक्षा करते हुए वे शहीद हुए, यह उनके लिए गर्व की बात है। रामा देवी ने पुलवामा में शहीद हुए वीरों की पत्नियों से भी अपील की है कि देश के लिए मर मिटने वालों को देश कभी भुला नहीं सकता है। वे धैर्य बनाकर रहें और अपने पति के अधूरे सपनों को साकार करने का कार्य करें।

शहादत

वर्ष 1996 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन मेघदूत चलाया था। किशनी क्षेत्र के गांव कुड़रिया समान निवासी गयाप्रयाद इस ऑपरेशन में शामिल थे। दिसंबर 1996 में लेह सेक्टर के ग्लेशियर के शैला पोस्ट की सैनिक टुकड़ी सैन्य अभियान पर निकली। सैनिक गयाप्रसाद स्नो स्कूटर पर सवार थे। अचानक बर्फ की दरार में गिरने से वो मय स्कूटर के गायब हो गए थे। तलाशने के बाद भी न मिलने पर सैनिकों ने उच्चाधिकारियों को जानकारी दी थी। तत्कालीन सेनाध्यक्ष ने 16 नवंबर 1999 को उनके परिवार को शहीद पत्र जारी कर दिया गया। परिवार को सारी सुविधाएं देने की घोषणा कर दी गई। 18 साल बाद वर्ष 2014 में उनका शव सियाचिन के ग्लेशियर में मिला था।