Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

हक की लड़ाई लड़ रहीं वीरनारी रविता

Published - Sat 09, Mar 2019

अपराजिता वीर नारी

मथुरा। बबलू सिंह जब शहीद हुए थे तब परिवार वालों को आश्वासन दिया गया था कि उनकी पत्नी को नौकरी दिलाई जाएगी। लेकिन अभी तक आश्वासन पर कोई अमल नहीं हुआ है। वीरनारी रविता कई दफा अधिकारियों से मिल चुकीं। परिवार वाले भी आश्वासन को याद दिलाते घूम रहे हैं लेकिन अभी तक नतीजा सिफर ही है। रविता के दो बच्चे हैं। एक बेटा और बेटी। वह दोनों को सेना में जाने के लिए तैयार कर रही हैं। दोनों बच्चों का लालन-पालन कर रही हैं। रविता का कहना है कि जब आश्वासन दिया गया था तो उसे पूरा किया जाए।


शहादत

फरह के गांव झंडीपुर निवासी बबलू सिंह जाट रेजीमेंट में थे। 30 जुलाई 2016 को कुपवाड़ा में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। घंटों चलने वाली इस मुठभेड़ में आतंकी भी मारे गए थे। जांबाज बबलू सिंह शहीद हो गए थे। बताया जाता है कि बबलू घायल होने के बाद भी आतंकियों से लड़ते रहे थे। कुछ दहशतगर्द ढेर हो गए थे जबकि बाकी जान बचाकर भाग निकले थे।