इंसाफ में देरी, इंसाफ न मिलने के बराबर है। दुष्कर्म, छेड़खानी और दहेज उत्पीड़न पर पर सुनवाई और दोषियों को को सजा जल्द मिलने लगे तो सही मायने में महिलाओं के प्रति लोगों में सम्मान बढ़ेगा। दोआबा की बेटियों ने शुक्रवार को कुछ ऐसी ही बेबाक राय रखी।
मंझनपुर। इंसाफ में देरी, इंसाफ न मिलने के बराबर है। दुष्कर्म, छेड़खानी और दहेज उत्पीड़न पर पर सुनवाई और दोषियों को को सजा जल्द मिलने लगे तो सही मायने में महिलाओं के प्रति लोगों में सम्मान बढ़ेगा। शुक्रवार को कुछ ऐसी ही बेबाक राय रखी दोआबा के बेटियों ने। अवसर था, सदर तहसील के कोतारी पश्चिम गांव स्थित श्रीमती सुरुज रानी रोशनलाल यादव इंटर कॉलेज में 'अमर उजाला अपराजिता' के तहत भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता का। महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर आयोजित प्रतियोगिता में छात्राओं ने अपने शब्द कौशल से सभी को स्तब्ध कर दिया।
कक्षा आठ, नौ तथा ग्यारवीं के छात्र-छात्राओं के बीच भाषण प्रतियोगिता हुई। इसमें सभी ने निर्भीक होकर अपने विचार रखे । छात्राओं ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चलाई जा रही हेल्पलाइनों का ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने की बात कही। निबंध में अधिकतर का फोकस महिला अपराध से जुड़े मामलों में अपराधियों को त्वरित सजा देने पर रहा। कई ने तो हैदराबाद और दिल्ली की चर्चित घटनाओं का जिक्र तक कर डाला। टॉप-5 की सूची जगह बनाने वाली छात्राओं सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय प्रबंधक रोशन लाल यादव व प्रधानाचार्य एसके सिंह ने किया। इस दौरान प्रबंधक ने कहा कि आज के दौर में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। इस पर समाज के हर जागरुक व्यक्ति का फोकस होना चाहिए। इस मौके पर चेतना मिश्रा, जहरा फात्मा, एसएन, एमएस, बीएल, सीएस, एटी आदि शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहे। सभी ने अमर उजाला की इस मुहिम को दिल खोलकर सराहा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.