अपराजिता बहादुर बेटियां
पंजाब कैडर की 2012 के बैच की आईपीएस अधिकारी सरगुन शुकला इन दिनों लेह की दुर्गम पहाड़ियों के बीच रहने वालों की सुरक्षा का दायित्व संभाल रही हैं। एसपी लेह सरगुन शुक्ला चारदीवारी में बंद, घूंघट में छिपी महिलाओं को बाहर निकालने, मौका देने की सख्त हिमायती हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपनी टीम की महिलाओं को हर मोर्चे के लिए मानसिक तौर पर तैयार कर रखा है। कहती हैं कि लेह में भी वहीं दिक्कत हैं, जो अन्य शहरों या गांवों की महिलाएं झेलती हैं। उनकी इसी झिझक को दूर करने केलिए ही लेह में महिला थाना खोला गया, ताकि पीड़ित महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।
'पुलिस आपके द्वार' ने जगाया खाकी पर भरोसा
अपराध तो अपराध ही होता है। यह अलग बात है कि किसी राज्य मेंं इसकी दर अलग-अलग हो सकती है। पब्लिक के लिए और एक अधिकारी के लिए भी जरूरी है कि पुलिस पर जनता का भरोसा कायम रहे। इसी सिद्धांत को लेकर आगे बढ़ रहीं सरगुन। 'पुलिस आपके द्वार' प्रोजेक्ट शुरू कर उन्होंने लोगों की समस्या उनके घर तक जाकर सुनने की पहल की है। कहती हैं कि अपराधी को पकड़ना आसान है।
'हर महिला के कुछ विशेषाधिकार हैं, इसे उसे पहचानने और उसका इस्तेमाल करने की जरूरत है। बदलाव हम सबकी जिम्मेदारी है, इसलिए आगे बढि़ए।'
सरगुन शुक्ला
एसपी, लेह
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.