मुंबई की अस्मा शेख कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण सड़क पर आ गईं, लेकिन हौसला नहीं छोड़ा। फुटपाथ पर जीवन बिताते हुए भी अस्मा ने पढ़ना जारी रखा। फुटपॉथ पर पढ़कर चालीस फीसदी अंकों के साथ दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। अस्मा के हौसले को देखते हुए लोग आगे आए और पैसे जोड़कर उसे घर दिलवाया।
मुंबई। अस्मा शेख। वो लड़की जिसके हौसले की उड़ान बेहद ऊंची है। सपने बहुत बड़े हैं और इरादे बेहद बुलंद हैं। मुंबई की अस्मा शेख भी कोरोना के कारण बेहद प्रभावित हुईं। पिता की जूस की दुकान थी, लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा तो पिता का काम ठप्प हो गया। परिवार सड़क पर आ गया। परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। परिवार सोचने लगा कि अब गुजर-बसर कैसे होगा? इसका सबसे ज्यादा असर अस्मा पर पड़ा। वो दसवीं की छात्रा थीं, लेकिन मुसीबतों से वो हारी नहीं, डरी नहीं। वो फुटपाथ पर बैठकर परीक्षा की तैयारी करने लगीं। हालांकि इस दौरान स्कूल बंद थे, लेकिन अस्मा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
मेहनत लाई रंग
परिवार के साथ दो जून की रोटी जुटाने में मदद करने के साथ-साथ अस्मा रात में पढ़ाई करतीं। पढ़ने के लिए वे फुटपॉथ पर लगी लाइटों के नीचे बैठतीं और पढ़ती आखिर उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने चालीस प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की। अस्मा के जज्बे को जैसे-जैसे लोगों ने जाना वैसे-वैसे मदद के हाथ उनकी ओर बढ़ते गए और लोग मदद को आगे आए।
परिवार को मिली छत
अस्मा ने जिस मुश्किल हालातों में अपनी पढ़ाई जारी रखी, उसे देश नहीं पूरी दुनिया ने जाना। लोगों ने उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा भी की। अस्मा के कारण उनके परिवार के सिर पर तीन साल के लिए छत आ गई। उनके परिवार को मुंबई के मोहम्मद अली रोड पर तीन साल के लिए एक वन बीएचके घर मिल गया साथ ही लोगों ने मदद कर अस्मा का दाखिला मुंबई के प्रतिष्ठित केसी कॉलेज में करा दिया। अब अस्मा वहां अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं।
स्पेन के जर्मन फर्नाडिज बने मददगार
अस्मा की कहानी को पूरी दुनिया तक पहुंचाने वाले थे स्पेन के जर्मन फर्नाडिज। उन्होंने अस्मा की हिम्मत और मेहनत की कहानी को लोगों तक पहुंचाया और उनकी मदद के लिए 1.2 लाख रुपये भी एकत्र किए। उनकी कोशिश के चलते ही मुंबई के एक एनजीओ ने हर महीने अस्मा को तीन हजार रुपये मदद करना शुरू किया। अस्मा को घर भी मिल गया और उनकी पढ़ाई भी चल रही है। अस्मा कहती हैं कि वो पढ़-लिखकर बेहद बड़ा आदमी बन अपने परिवार के सपनों को पूरा करना चाहती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.