चीन में #MeToo अभियान चलाने वाली जियांजी आजकल बेहद उदास हैं, क्योंकि अदालत ने जियांजी की अपील को यह कहकर खारिज कर दिया है कि उनके पास यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। यह अपील सरकार ने तीन साल बाद ठुकराई है। जब जियांजी ने चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर अपनी एक समर्थक से संपर्क करने की कोशिश की तो अदालती फैसले के दूसरे ही दिन उन्हें वीबो पर पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया।
नई दिल्ली। जियाजी की मानें तो फैसला आने के बाद उन्हें लगातार अपने ऑनलाइन समर्थकों से दूर किया जा रहा है। लोगों के अकाउंट लगातार सस्पेंड किए जा रहे हैं। मेरे लिए उनसे संपर्क करने का कोई और तरीका नहीं है। मैं सभी को शुक्रिया कहना चाहती थी, लेकिन अब मेरे पास यह मौका भी नहीं है।
2018 में लगाया था आरोप
साल 2018 में जब #MeToo अभियान चीन पहुंचा तब जियांजी उन कई महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने अपने यौन उत्पीड़न की बात सबके सामने रखी। उनका असली नाम जोऊ जियाओजुअन है लेकिन वो जियांजी नाम से लोकप्रिय हैं। जियांजी ने 3,000 शब्दों के एक लेख में सरकारी समाचार चैनल सीसीटीवी के होस्ट जू जुन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उनका लेख वायरल हो गया था। उनके अनुसार यह घटना तब हुई थी, जब वह 21 साल की इंटर्न थीं और जू जुन का इंटरव्यू मिलने की उम्मीद में उनके ड्रेसिंग रूम में गई थीं।
जू चीन में काफी फेसम थे
उस समय जू जुन चीन में लाखों लोगों के चहेते टीवी होस्ट थे और वो स्प्रिंग फेस्टिवल का सालाना इंवेट पेश करते थे। जियांजी ने एक अन्य लेख में बताया था कि कैसे जुन उन्हें करीब 50 मिनट तक गलत तरीके से छूते रहे और उनके मना करने के बावजूद उन्हें जबरन किस किया। जियांजी का कहना था कि इस दौरान कई बार लोग उस कमरे में आए और गए लेकिन वो डर और शर्म से इस कदर जम गई थीं कि किसी को इस बारे में बता नहीं पाईं। जियांजी के मुताबिक वो तभी कमरे से बाहर निकल पाईं जब जुन एक क्रू मेंबर से बात करने लगे और उनका ध्यान भटक गया। उन्होंने लिखा था, मुझे डर था कि अगर में जू के खिलाफ बोलूंगी तो इससे मेरी पढ़ाई पर असर पड़ेगा, इसलिए मैं लड़ने की हिम्मत नहीं कर पाई। जियांजी का कहना है कि इस घटना के अगले दिन वो पुलिस के पास गई लेकिन उन्हें चुप रहने को कहा गया क्योंकि जुन उस समय चीन में "सकारात्मक ऊर्जा" की राष्ट्रीय मिसाल थे, इसलिए वो तब तक चुप रहीं जब तक #MeToo नहीं शुरू हुआ।
चर्चा में तब आया मामला
यह मामला तब और ज्यादा चर्चा में आ गया, जब जुन ने जियांजी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया। तब से जियां की पूरी जिंदगी बदल गई। वुहान के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी जियांजी 18 साल की उम्र में ही फिल्म निर्देशन की पढ़ाई करने बीजिंग आ गई थीं। उस समय वो एक स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर काम भी कर रही थीं। इस घटना के बाद से जियांजी को काम छोड़ना पड़ा और पिछले तीन वर्षों से वो अपनी बचत और फ्रीलांस लेखन से होने वाली अनियमित आय के सहारे गुजारा कर रही हैं। उनके वकील ने इस कानूनी लड़ाई के दौरान उनसे मामूली फीस ही ली।
पढ़ाई पर केंद्रित किया ध्यान
जियांजी ने अपना ध्यान कानूनी लड़ाई और यौन उत्पीड़न की अन्य पीड़िताओं के लिए आवाज उठाने पर केंद्रित किया। यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाएं सोशल मीडिया के जरिए उनसे मदद भी मांगती थीं और उनके तीन लाख से अधिक फॉलोअर भी हो गए थे। जिन्हें अब एक-एक करके ब्लॉक किया जा रहा है।
जियांजी अब बहुत थक चुकी हैं
जियांजी पर अभी मानहानि का मुकदमा चल रहा है, जिसमें 1 लाख डॉलर मुआवजे की मांग की गई है। इस पूरे घटनाक्रम ने जियांजी को बुरी तरह प्रभावित किया है। वो कहती हैं, "जब ये सब हुआ तब मैं 21 साल की थी। अब 28 साल की हूं, मैं बहुत थक चुकी हूं...मुझे नहीं मालूम कि मैं तीन साल और लड़ने की हिम्मत जुटा पाऊंगी या नहीं। वो कई बार यह सोचकर घबरा जाती हैं कि इतना सब होने के बाद क्या वो कभी अपना करियर दोबारा पा सकेंगी। वो कहती हैं, अगर आप लोगों को दुखी होने पर बोलने से रोकते हैं तो इसका मतलब है कि आप उन्हें खत्म करना चाहते हैं। मुझे समझ नहीं आता है कि मैंने क्या गलती की है कि वह मुझे खत्म करना चाहते हैं?
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.