अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
एटा। चार साल की उम्र में ही पिता का साया उठने के बाद शुरू हुए संघर्ष ने मासूम बिंदु को और जूझारू बना दिया। सात भाई बहनों में सबसे छोटी होने के कारण परवरिश से लेकर पढ़ाई तक की समस्याएं चुनौतियां बन गईं। अभावों से मिली इच्छाशक्ति ने उन्हें हारने नहीं दिया। होम ट्यूशन से सीनियर सेकेंडरी स्कूल संचालन तक के संघर्षमय सफर लोगों के लिए प्रेरणादायी बन गया।
बचपन से ही शुरू हो गया था संघर्ष
खेलने की उम्र में अभावों के पहाड़ ने मासूम बिंदु को सपने देखने का मौका ही नहीं दिया। जीविका की चुनौती से और जुझारू बनी बिंदु ने एमए, बीएड करते ही उस समय के एक मात्र इंगलिश मीडियम स्कूल में नौकरी पा ली। एक दशक की मेहनत से वे बच्चों की पसंदीदा ही नहीं, संस्थान की भी चहेती बन गईं। इसी दौरान हुई शादी के बाद खर्च ही नहीं परिवार की जिम्मेदारी भी बढ़ी। कुछ खुद का करने की चाह में नौकरी छोड़कर वर्ष 2000 में होम ट्यूशन के साथ एक कमरे में चाइल्ड क्लास भी शुरू कर दी। परेशानियों ने अभी भी साथ नहीं छोड़ा। निकटवर्ती स्कूल संचालकों एवं पड़ोसियों के विरोध के बाद मकान मालिक ने घर खाली करवा लिया। हिम्मत न हारने वाली युवती ने नया मकान लेकर मिशन जारी रखा। बच्चों-अभिभावकों का दिल जीतने में कामयाब रहीं यह युवती अब बिंदु मैम के रूप में पहचान पा चुकी थीं। अरुणा नगर में आवास में ही प्राइमरी स्कूल चलाने वाली बिंदु जायसवाल आज सीनियर सेकेंडरी स्कूल की संचालिका हैं। पांच वर्ष के हाईस्कूल व तीन वर्ष के इंटर के टॉप टेन में आए छात्र-छात्राओं ने स्कूल व संचालिका को और नई पहचान दी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.