अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
मथुरा। शादी के सिर्फ दो साल बाद ही जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आंतकी हमले के दौरान शशि के पति शहीद हो गए थे। पति के जाने के बाद शशि ने खुद को संभाला और ठान लिया कि वह भी अब सेना में ही जाएगी। साधारण महिला के रूप में अपने ससुरालीजनों के साथ गृहस्थी संभाल रही शशि के दिल पर ऐसा आघात हुआ कि पति की मौत का बदला लेने के लिए सैनिक बनने की ठान ली। घर की चारदीवारी में रहने वाली शशि वे सभी प्रयास करने लगी, जो एक सैनिक के लिए आवश्यक होते हैं। आखिर मेहनत रंग लाई और आज शशि शर्मा बीएसएफ में ही पंजाब में तैनात हैं।
2007 में डैंपियर नगर निवासी राम बाबू शर्मा की पुत्री शशि शर्मा की शादी राया के गांव नगला भीमा निवासी मुकेशचंद से हुई थी। शादी के सिर्फ दो साल बाद ही बीएसएफ में तैनात पति मुकेशचंद जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आतंकी घटना के दौरान शहीद हो गए। इस घटना को शशि ने आम शहीद सैनिकों की पत्नियों से हटकर लिया। उन्होंने ठान लिया कि वे पति की मौत का बदला लेंगी। इसके लिए सैनिक बनेंगी। इस जुनून के बाद गृहस्थ साधारण महिला ने सैनिक बनने के लिए दौड़ भी लगाई और वह सभी व्यायाम भी किए जो एक सैनिक बनने के लिए आवश्यक थे। शशि शर्मा के इस जुनून को पूरा करने में उनके सास-ससुर ही नहीं माता-पिता का भी पूरा सहयोग मिला। पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें बीएसएफ में सैनिक के रूप में चयनित किया गया। आज वह पूरे जोश के साथ बीएसएफ के अभियानों का हिस्सा बनती हैं। शशि के पास अब 10 वर्षीय बेटा आर्यन भी है। शशि शर्मा की सास का कहना है कि कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसी भी स्थिति होगी। घर को देखने वाली बहू को बंदूक उठानी पड़ेगी। वह अपनी बहू के साहस और जज्बे की तारीफ करती हैं। परिवार वालों का कहना है कि उन्हें शशि पर नाज है। पूरा गांव शशि पर नाज करता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.