अपराजिता चेंजमेकर्स
चंडीगढ़। कभी माता-पिता के साथ घर के बाहर घूमने जाती तो अकसर पुलिस वाले दिखाई देते थे। कुछ रिश्तेदार भी पुलिस में थे। कभी-कभी पुलिस की वर्दी में महिलाएं भी दिखती थीं, तब लगता था कि मैं भी एक दिन वर्दी पहनूंगी और लोगों की सेवा करूंगी। बचपन का यह ख्वाब बड़े होकर कैसे हकीकत में बदलेगा, यह तो मैंने सोचा ही नहीं था, पर ख्वाब पूरा हो गया। यह कहना है डीएसपी रश्मि यादव का। तेजतर्रार और हर मोर्चे पर डटी रहने वाली रश्मि यादव ने बताया कि उन्होंने सात वर्ष की उम्र में पुलिस अफसर बनने का सपना देखा था। सपना देखना एक बात होती है और उसे पूरा करना दूसरी। घरवाले चाहते थे कि वह एक डॉक्टर बनें, पर उन्होंने ठान लिया था कि वह पुलिस अधिकारी ही बनेंगी। हालांकि घरवालों ने उनको कुछ समय के लिए मेडिकल की पढ़ाई करने को अमृतसर भेज दिया था, पर किस्मत रश्मि के साथ रही। रश्मि बताती हैं कि उन्होंने कई परीक्षाओं के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। इसके लिए उन्होंने घरवालों को बताया तक नहीं। जब रिजल्ट आया तो वह चयनित हो गईं थीं। बाद में जैसे ही यह बात घरवालों को पता चली तो, वे काफी नाखुश हुए। घरवाले नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी पुलिस बने। शायद कुछ डर था, लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है। किसी तरह उन्होंने अपने घरवालों को राजी किया और वर्ष 2011 में ट्रेनिंग पर गईं। उनकी पोस्टिंग नई दिल्ली में हुई और कुछ वर्ष बाद चंडीगढ़ आ गईं। अभी वह चंडीगढ़ साइबर सेल, आईआरबी और पीईबी ब्रांच में डीएसपी पद पर तैनात हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.