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खेती करना माना जाता था पुरुषों का काम, माला देवी ने तोड़ा भ्रम

Published - Mon 18, Mar 2019

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बरेली। भोजीपुरा के गांव भगवंतापुर की पांचवीं पास माला देवी का संयुक्त परिवार था। 20 साल पहले भाइयों में बंटवारा हुआ तो पति रामवीर के हिस्से में 10 बीघा जमीन और घर का छोटा सा टुकड़ा आया। परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए माला ने खुद ही खेती की कमान संभाली। 15 साल पहले लोग महिलाओं को चौका चूल्हा तक ही सीमित समझते थे, खेती या अन्य कार्य करने की कल्पना करना तक उनके लिए आसान नहीं था। फिर भी माला ने हार नहीं मानी, इन सबको दरकिनार कर खेती शुरू की। शुरुआती दौर में उन्हें लोगों की काफी खरीखोटी सुननी पड़ी, लेकिन उनके हौसले कम नहीं हुए। माला ने पति और दो बच्चों के साथ धान, गेहूं और गन्ने की बेहतर फसलें ही नहीं उगाई, बल्कि पशुपालन करके भी परिवार की आय में कई गुना बढ़ोतरी की। आमदनी बढ़ी तो साझे में ट्रैक्टर भी खरीद लिया। माला का मानना है कि अपने काम में हिचक कैसी। अब उनको देखकर गांव की अन्य महिलाएं भी खेती करने लगी हैं।