अपराजिता चेंजमेकर्स
हल्द्वानी। अपने कर्तव्यों संग भर रही अब उड़ान, न शिकायत न कोई थकान यही है नारी की पहचान। खटीमा के एक छोटे से गांव टेड़ाघाट की बेटी निशा वर्मा ने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते हर मुश्किल को बेअसर करके दिखाया है। वर्तमान निशा वर्मा आईआरएस (इंडियन रिवेन्यू सर्विस) में डिप्टी कमिश्नर, कस्टम के पद पर कार्यरत हैं। निशा खुद मानती हैं कि जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कोई भी मुश्किल आपकी राह नहीं रोक सकती है। निशा वर्मा 2007 में एमएड करने के दौरान ही चंपावत में प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका बन गईं थीं, इसके बाद भी कुछ अलग करने की चाहत उनके भीतर थी। यही वजह रही कि बोर्ड परीक्षाओं के दौरान लगी ड्यूटी में कुछ ऐसे प्रवक्ताओं से मुलाकात हुई, जिन्होंने आईएएस आदि की परीक्षाएं दी थीं। इन लोगों से मुलाकात के बाद निशा ने उनसे पढ़ने के लिए किताबें मांगी। निशा को ये किताबें तय वक्त में वापस करनी होती थीं, ऐसे में वह स्कूल के बाद खाना-पीना भूलकर अपने नोट्स तैयार करतीं और तय समय में किताबें वापस करके दूसरी किताबें ले लेतीं। निशा ने बताया कि गांव में रहने की वजह से टीवी और समाचार पत्र भी आसानी से नहीं मिल पाता था। पीसीएस के आवेदन की जानकारी भी उन्हें नहीं थीं, एक परिचित पदमाकर मिश्रा आवेदन पत्र लेकर आए तो झट से भर दिया। 2010 में उत्तराखंड पीसीएस में चयन हो गया। निशा की तैनाती गढ़वाल में बीडीओ पद पर हुई। कुछ दिनों बाद रुद्रप्रयाग में स्थानांतरण हो गया। जून 2013 में केदारनाथ धाम में आई आपदा में भी निशा ने कार्य किया। 2013 में उनका चयन इंडियन रिवेन्यू सर्विस में हो गया, तब से वह दिल्ली में बतौर डिप्टी कमिश्नर, कस्टम तैनात हैं।
लक्ष्य पर हो फोकस
निशा वर्मा ने बताया कि मेरी कामयाबी के पीछे मेरी मां मीनावती देवी का बहुत बड़ा हाथ है, उन्होंने मेरे साथ ही हाईस्कूल की परीक्षा दी। पिता मोतीचंद्र वर्मा गोविंदबल्लभ पंत इंटर कॉलेज, चकरपुर में अध्यापक हैं। महिला सशक्तीकरण को लेकर निशा का कहना है कि महिला अबला नहीं सबला है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.