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आंखों से कमजोर सिमरन के इरादे बहुत मजबूत हैं, पैरालंपिक में पदक जीतना ही है उनका लक्ष्य

Published - Mon 23, Aug 2021

समय से पहले पैदा हुई सिमरन को जब डॉक्टरों ने देखा तो कहा कि वह कुछ दिनों की ही मेहमान हैं। लेकिन उनके पापा को विश्वास था कि उनकी बिटिया मौत को मात देकर एक अलग मुकाब बनाएगी। अब वह टोक्यो पैरालंपिक में 100 मीटर रेस में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। 

simran sharma

समय से ढाई-तीन महीने पहले पैदा हुई सिमरन शर्मा को डॉक्टरों ने कह दिया था कि यह कुछ दिन की मेहमान हैं। पर पापा मनोज कुमार को विश्वास था कि उनकी बिटिया मौत को मात देकर अपना अलग मुकाम बनाएगी। अब 21 साल की हो चुकी सिमरन टोक्यो पैरालंपिक में 100 मीटर टी-13 दौड़ में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं। पर अफसोस की यह देखने के लिए उनके पापा नहीं हैं। सिमरन ओलंपिक में पदक जीतकर पापा के सपने को साकार करना चाहती हैं। वह कहती हैं इसके लिए मैं अपनी पूरी जान लगा दूंगी। पापा मुझे ऊपर से देखकर गर्व महसूस कर रहे होंगे। वह होते तो कितने खुश होते। नई दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाली सिमरन टोक्यो पैरालंपिक की 100 मीटर स्पर्धा में भाग लेने वाली देश की एकमात्र महिला पैरा एथलीट हैं। सिमरन सिर्फ सात से आठ मीटर दूर तक ही देख पाती हैं। बचपन से ही खेल के प्रति रुचि रखने वाली सिमरन की राह आसान नहीं रही। घरवाले तो अपनी लाडली बिटिया को कोई आंच नहीं आने देते पर बाहर वालों के ताने सिमरन को सोने नहीं देते। वह कहती हैं लोग अंधी कहकर मेरा मजाक उड़ाते थे। धीरे-धीरे मुझे इसकी आदत हो गई। अब मुझे बुरा नहीं लगता था। सिमरन का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 11.87 सेकंड है। उन्होंने 2019 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण, 2018 पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्रि में स्वर्ण जीता है। सिमरन राष्ट्रीय स्तर पर 100 और 200 मीटर स्पर्धा में आठ स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 

मां ने बर्तन मांजकर की परवरिश : सिमरन कहती हैं कि पापा का मुझे ओलंपिक में खेलते देखने का सपना अधूरा रह गया। उन्होंने मेरी हर ख्वाहिश पूरी की पर पैरालाइज के चलते सब कुछ बिखर गया। करीब 15-16 साल पैरालाइज से जंग लड़ने के बाद पिछले साल वह इससे हार गए। इस दौरान तीन बच्चों (एक बेटा और दो बेटियों) की परवरिश मां ने हॉस्टल में रोटियां बनाकर और लोगों के घरों में बर्तन मांजकर की। हमें किसी चीज की कमी नहीं होने दी। मैं पदक जीतकर मां और पापा का सपना पूरा करना चाहती हूं। मां को बेहतर जिंदगी देना चाहती हूं।

पति ने दी सपनों को नई उड़ान : सिमरन के सपनों को सेना में नायक पति गजेंद्र सिंह ने नई उड़ान दी। स्टेडियम में अभ्यास के दौरान सिमरन की मुलाकात 2017 में गजेंद्र से हुई थी। जल्द ही दोनों शादी के बंधन में बंध गए। इसके बाद मोदीनगर के गजेंद्र पत्नी सिमरन के फुल टाइम कोच बन गए। सेना ने भी पति-पत्नी की हरसंभव मदद की। यहां तक की राष्ट्रीय शिविर में भी गजेंद्र ही सिमरन के कोच रहे। सिमरन 26 को टोक्यो के लिए रवाना होंगी और 31 अगस्त को अपनी स्पर्धा में चुनौती पेश करेंगी। वह कहती हैं कि गजेंद्र कोरोना प्रोटाकॉल के चलते मेरे साथ नहीं जा पाएंगे। उनके साथ न होने से थोड़ा नर्वस हूं। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी और पदक जीतकर लौटूंगी।